नई दिल्ली, । वंदे भारत मिशन के तहत खाड़ी के देशों से भारतीयों को लेकर लौटी एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-344 को पहले कोझिकोड एयरपोर्ट के 28 नंबर रनवे पर लैंडिंग की मंजूरी दी गई थी। पायलट रनवे के करीब पहुंच भी गया था, लेकिन आखिरी वक्त वह विमान को ऊपर लेकर चला गया। हादसे को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सौंपी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है
रिपोर्ट में कहा गया है कि पायलट ने कंट्रोल को भारी बारिश की वजह से लैंडिंग नहीं कराने की बात बताई थी। इसके बाद कंट्रोलर ने उससे विमान को 10 हजार फीट की ऊंचाई पर ले जाने को कहा। दुर्घटनाग्रस्त होने से करीब 16 मिनट पहले विमान ने 28 नंबर रनवे पर उतरने का प्रयास किया था।
वहीं, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी कहा है कि खराब मौसम की वजह से पायलट पहली बार लैंडिंग कराने में सफल नहीं हो सका और विमान को ऊपर ले गया। इसके बाद पायलट ने दूसरी दिशा से लैंडिंग कराने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि दुर्घटना फिसलन भरे (स्लिपरी) रनवे के कारण हुई।’
रिपोर्ट के मुताबिक एटीसी (एयरपोर्ट ट्रैफिक कंट्रोलर) ने पायलट से विमान को 10 हजार फीट की ऊंचाई पर ले जाने को कहा। लेकिन पायलट सात हजार फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद एटीसी से रनवे नंबर 10 पर लैंडिंग के लिए अनुमति मांगी। तब उसे वहां चल रही हवा, दृश्यता और क्यूम्यलोनिम्बस (सीबी) बादल की स्थिति की जानकारी देने के बाद लैंडिंग की मंजूरी दे दी गई। सीबी बादल लैडिंग के लिए बहुत खतरनाक होते हैं और आमतौर पर पायलट इसके बीच से जाने से बचते हैं।