रायपुर। राज्य में पौने तीन करोड़ आबादी के बीच 350 से ज्यादा हाथी अलग-अलग वनमंडलों में विचरण कर रहे हैं। इस लिहाज में राज्य में शेड्यूल-1 प्रजाति के वन्यजीव प्रजातियों में हाथी की संख्या अन्य शेड्यूल-1 प्रजाति के वन्यजीवों की तुलना में ज्यादा है। हाथी भारी भरकम वन्यजीव होने के साथ शाकाहारी प्राणी है। इस लिहाज से भोजन और पानी के लिए राज्य में आए दिन मानव-हाथी द्वंद्व की स्थिति निर्मित होती है। इससे जानमाल के नुकसान होने के साथ हाथियों की मौतें भी होती रहती हैं।
इस स्थिति को टालने के लिए राज्य में हाथी उत्पात को उत्तरखंड की तर्ज पर आपदा की श्रेणी में रखने की योजना वन विभाग के अफसर बना रहे हैं। विभागीय अफसरों के मुताबिक राज्य में मानव-हाथी द्वंद्व की स्थिति निर्मित होने की स्थिति में हाथी रेस्क्यू करने के साथ ग्रामीणों को हाथियों के नजदीक जाने से रोकने वन विभाग के अफसरों को मशक्कत करनी पड़ती है। हाथी उत्पात आपदा की श्रेणी में आने के बाद प्रभावित क्षेत्र में वन विभाग के साथ राजस्व अमले को भी तैनात किया जाएगा। साथ ही आपदा की स्थिति में जो निर्णय लिया जाता है। इस तरह के निर्णय संबंधित जिले के कलेक्टर ले सकते हैं। हाथी उत्पात आपदा की श्रेणी में आने के बाद पीड़ित परिवारों को आपदा के समय जो मदद मिलती है, उस तरह की मदद मिलेगी।