दिल्ली। देश में आजादी के 74 साल का जश्न मनाने के लिए तैयार है। साल 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित किया था तब से लेकर अब तक काफी कुछ बदल गया है। साल 2020 में बाकी दुनिया की तरह भारत देश भी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस समारोह का जश्न थोड़ा फीका कर दिया है।
मगर बीते एक साल में देश में काफी कुछ बदला। इस दौरान ऐसी कई बेड़ियां खुलीं, जो सदियों से जकड़ी हुई थीं। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी मिली तो रामलला को भी टाट से आजादी मिलने की शुरुआत हुई। कोरोना काल से जूझते हुए देश में आजादी के मायने भी बदले। पहले जो सामान्य था, अब वो बदल गया। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ मामले, जहां देश के नागरिकों को आजादी मिली।
तीन तलाक
मुस्लिम महिलाओं को साल 2019 में सबसे बड़ी बेड़ियों से आजादी मिली। सदियों से चली आ रही तीन तलाक की समस्या आखिरकार खत्म हुई। साल 2019 में एक और बड़ा फैसला आया, जिसने मुस्लिम महिलाओं की सदियों पुरानी समस्या को सुलझाने की कोशिश की। मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून पास कराने में सफलता हासिल की। इसके साथ ही अब एक साथ तीन तलाक देने की प्रथा गैर कानूनी है। तीन तलाक बोलना, लिखना, एसएमएस या व्हाट्सएप करना भी गैरकानूनी हो चुका है।
नगरिकता संशोधन कानून
साल 2019 एक और अहम फैसले का गवाह बना। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न झेलने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता साफ हुआ। दिसंबर महीने में नागरिकता (संशोधन) कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के शिकार होकर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी है।