रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित संक्षिप्त और गरिमामय समारोह में वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी दैनिक ‘हितवाद’ के स्थानीय सम्पादक ई. वी. मुरली को 20 वें ’वसुंधरा सम्मान’ से सम्मानित किया। स्वर्गीय देवी प्रसाद चैबे की स्मृति में स्थापित यह सम्मान विगत 20 वर्षों से लोकजागरण के लिए दिया जा रहा है। वसुंधरा सम्मान समारोह का आयोजन स्वर्गीय देवी प्रसाद चैबे की पुण्यतिथि के अवसर पर किया जाता है। मुख्यमंत्री ने मुरली को शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम के आरंभ में मुख्यमंत्री बघेल ने स्वर्गीय श्री देवी प्रसाद चैबे के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह की अध्यक्षता संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने की। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्र कुमार, विधायक मोहन मरकाम, स्वर्गीय देवीप्रसाद चैबे के पुत्र प्रदीप चैबे, कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे, वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर, छत्तीसगढ़ राज्य वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष अरूण बोरा, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी.के.एस.रे, साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज और गिरीश मुक्तिबोध, मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग इस अवसर पर उपस्थित थे। संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन एवं श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउन्डेशन के सहयोग से लोकजागरण की पत्रिका ‘वसुंधरा’ द्वारा इस समारोह का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय देवी प्रसाद चैबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वर्गीय चैबे सही मायने में ठेठ छत्तीसगढ़िया थे। सहज, सरल और मिलनसार स्वर्गीय चैबे ने हमेशा किसानों, मजदूरों और गरीबों के हित की लड़ाई लड़ी। उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए हर वर्ष पत्रकारों को वसुंधरा सम्मान प्रदान किया जाता है। उन्होंने न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में ही कार्य किए अपितु दुर्ग जिले की राजनीति को भी प्रभावित किया।
मुख्यमंत्री ने देश और समाज के लिए पत्रकारों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारों ने देश और समाज के लिए अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। अपने विचारों और अपनी लेखनी से उन्होंने समाज को रचनात्मक दिशा देने का काम किया है। ऐसे पत्रकारों का नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग खबरों के लिए अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सहारा लेते हैं, लेकिन हमारी वर्तमान पीढ़ी मोबाइल पर सोशल मीडिया को देखकर अपनी मानसिकता बनाती है। उन्होंने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए अनेक नियामक कानून हैं, लेकिन सोशल मीडिया के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नही है। सोशल मीडिया के लिए न किसी प्रशिक्षण की जरूरत है और न किसी मर्यादा की। सोशल मीडिया पर लोगों को ट्रोल करने के बढ़ते चलन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की नकारात्मक टिप्पणियां लोगों को हतोत्साहित करती हैं, इसीलिए अनेक अच्छे विचारक और संवेदनशील लोग ट्वीटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म को छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से वर्तमान पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है, इससे कैसे बचा जा सकता है, इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़खानी नहीं होनी चाहिए। यदि कोई इतिहास बनाता है, तो यह अच्छी बात है, लेकिन इतिहास बदलने की कोशिश दुर्भाग्य जनक है।