कोरबा. ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर रुढ़िवादी प्रथा को लेकर खबर आती है कि किसी को मौत के घाट उतार दिया गया, तो तंत्र-मंत्र के आड़ में किसी मौत हो गई, लेकिन कोरबा में बलि प्रथा के लिए दो परिवार को पुरे गाँव से बाहर कर दिया गया है. जिले के उरगा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरेली में दो परिवार के 14 लोग सामजिक दंश झेल रहे है. बीदर बलि प्रथा में चंदा नहीं देने के कारण दो परिवार को गांव से बहार कर दिया गया है. जिसेक चलते उन्हें गाँव में रोजी रोटी की दिक्कत आ रही है. इस बात की शिकायत दोनों परिवार के मुखिया ने थाना में दर्ज कराई है. बहिष्कृत परिवार प्रमुखों का नाम विशंभर दास, मदन लाल है दोनों ही परिवार कबीर पंथ को का पालन करते है. इसी के चलते बलि का चंदा देने से इनकार दिया.
कोटवार ने घर पहुंच कर दी जानकरी
दरअसल गांव में बलि प्रथा के चंदा के लिए बैठक बुलाई गई थी इस बैठक में मदन लाल श्रीवास के पिता शामिल हुए थे इस दौरान उनसे चंदा के पिसे के लिए मांग की गई तो मदनलाल श्रीवास के पिता ने कहा कि मैं कबीरपंथी को मानता हूं इसलिए बलि प्रथा के लिए चंदा नहीं दे पाऊंगा. उसके दूसरे दिन गांव के कोटवार अंजोर दास मदनलाल श्रीवास के घर गया और मदनलाल श्रीवास के पिता को कहा कि आप लोगों ने बीदर का चंदा नहीं दिया है इसलिए आप लोग को गांव से अलग कर दिया गया है. आप लोग अपना दुकान बंद कर देना.
मटन खाओ या नदी में बहा दो
विशंभर दास भी कबीर पंथ का पालन करता है. जिस दिन पंचायत में बैठक बुलाई गई थी उस दिन वह जरुरी काम से बाहर था. था इसलिए गांव की बैठक में उपस्थित नहीं हो पाया और बीदर का चंदा नहीं देने पर उसे गांव से बाहर कर दिया गया. बीदर समिति के भुजबल यादव और संतोष देवांगन ने विशंभर दास को 300 रुपए देने के लिए प्रताड़ित रहे. दोनों विशंभर के घर पहुंच कर कहने लगे कि आप लोग बकरा का मटन लो या मत लो आपको 300 रुपए देना ही होगा। चाहे आप मटन को नदी में बहा दो
मोहल्ले में लोगों को चेतावनी, काम में साथ देने की रोक
गांव के 3 लोग राजा, सुरेश, और मोतीलाल सोनी विशंभर दास के मोहल्ले में गए हैं और सभी के घरों में जाकर यह कहने लगे कि विशंभर दास को गांव से अलग कर दिया गया है। उसके यहां कोई भी खेती का कार्य करने के लिए भी नहीं जाना। इसके अलावा सभी मोहल्लेवासियों को बात करने के लिए भी मना कर दिया गया है।