नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवसके मौके पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव के संकेत दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस संकेत में बाद माना जा रहा है कि देश में जल्द ही लड़कियों की शादी न्यूनतम उम्र 18 से बढ़कर 21 साल की जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी के इस संकेत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार लड़कियों की उम्र में बदलाव करना क्यों चाहती है।
यह है वजह –
बता दें कि लड़कियों की शादी की उम्र में बदलाव कर सरकार मातृ मृत्युदर ( बच्चे को जन्म देने के दौरान माता की मौत हो जाना ) में कमी लाना चाहती है। सरकार की ये कवायद सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई उस टिप्पणी के बाद उठाया गया कदम है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार से बेटियों को बचाने के लिए बाल विवाह पूरी तरह से अवैध माना जाना चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोट ने विवाह के लिए न्यूनतम आयु पर फैसला करने का काम सरकार पर छोड़ दिया था।
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यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले और सात प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है। बता दें कि भारत में पिछले 5 सालों में 3 करोड़ 76 लाख लड़कियों की शादी हुई थी, जिसमें से 2 करोड़ 55 लाख ग्रामीण इलाकों में जबकि 1 करोड़ 21 लाख शहरी इलाकों में हुईं थीं। इन शादियों में लड़कियों की उम्र पर गौर करें तो ग्रामीण इलाकों में हुईं लड़कियों की शादी में से 1.06 करोड़ लड़कियों की शादी 18-19 साल की उम्र में कर दी गईं, जबकि शहरी क्षेत्र में ये आंकड़ा 31 लाख लड़कियों का रहा। इसी तरह 49 लाख ग्रामीण और 26 लाख शहरी लड़कियों की शादी 20-21 साल की उम्र में कर दी गई।
बता दें कि साल 1978 से भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है। इस साल जून में भारत सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इसके पीछे का मकसद मातृत्व मृत्युदर में कमी लाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही उम्र के बारे में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी।