रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को पोला तिहार की बधाई और सुभकामनाएं दी है। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि पोला का यह पर्व छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में कृषि संस्कृति से गहराई से जुड़ा है। कृषि कर्म एवं श्रम पर आधारित यह पर्व हम सभी के लिए अच्छी फसल की कामना का संदेश लेकर आता है। राज्यपाल ने इस अवसर पर नागरिकों के सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों, पशुपालकों समेत समस्त नागरिकों को पोला की हार्दिक बधाई दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि – पोला तिहार छत्तीसगढ़ की परम्परा, संस्कृति और लोक जीवन की गहराइयों से जुड़ा है। इस त्यौहार में उत्साह से बैलों और जाता-पोरा की पूजा कर अच्छी फसल और घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए प्रार्थना की जाती है। यह त्यौहार हमारे जीवन में खेती-किसानी और पशुधन का महत्व बताता है। बघेल ने कहा कि यह पर्व बच्चों को हमारी संस्कृति और परम्पराओं से परिचय कराने का भी अच्छा माध्यम है. घरों में प्रतिमान स्वरूप मिट्टी के बैलों और बर्तनों की पूजा कर बच्चों को खेलने के लिए दिया जाता है, जिससे बच्चे अनजाने ही अपनी मिट्टी और उसके सरोकारों से जुड़ते हैं। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए ग्रामीणों और किसान भाइयों से पोला तिहार के मनाने के दौरान मास्क लगाने और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है।
सीएम हाउस में मनेगा पोरा तिहार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर स्थित निवास में पोरा-तीजा का तिहार 18 अगस्त को दोपहर 12 बजे से मनाया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोरा-तीजा तिहार के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री निवास में विशेष इंतजाम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री निवास परिसर में छत्तीसगढ़ की परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जाा की गई है। मुख्यमंत्री 18 अगस्त को दोपहर 12 बजे से पोला का कार्यक्रम होगा। इस मौके पर नांदिया बैला की पूजा की जाएगी। तीजा महोत्सव का आयोजन होगा। पोरा तीजा तिहार के लिए कार्यक्रम में बहनों को आमंत्रित किया गया है।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में एक सेल्फी जोन बनाया गया है, जहां नांदिया बैला के साथ लोग सेल्फी ले सकेंगे। कार्यक्रम में शिवलिंग की पूजा की जाएगी। रइचुली झूला और चकरी झूला भी कार्यक्रम स्थल पर लगाया गया है। इन झूलों का लोग आनंद ले सकेंगे। कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए आयोजन में सीमित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों से मास्क लगाकर आने तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की गई है।
पोला यानी छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती-किसानी में बैल और गोवंशीय पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बधो मिट्टी से बने नंदीबैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है।