उत्तरप्रदेश। आपराधिक घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। सरकार और पुलिस द्वारा अपराधियों के खिलाफ कई अभियान भी जारी किये गए। ऐसे में कानपुर के बाद अब आजमगढ़ बीते दो दिनों से 24 घंटे के दौरान तीसरी हत्या होने से तनाव फैला हुआ हैं। यहां स्थित बांसगाव में हाल ही में दलित प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या के पीछे कथित तौर पर गांव में ही रहने वाली उच्च जातियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस घटना के बाद शुक्रवार से शनिवार के बीच दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आया और पत्थरबाजी और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। साथ ही एक पुलिस चेक पोस्ट में भी तोड़फोड़ की।
घटना में मारे गए 42 वर्षीय दलित का नाम सत्यमेव जयते बताया गया है। वह पहली बार ही बांसगांव का प्रधान बना था। दलितों का आरोप है कि सत्यमेव ने ठाकुरों के आगे नतमस्तक होने से साफ इंकार कर दिया। जिसके कारण उनकी हत्या कर दी गई। गौरतलब है कि आजमगढ़ के बांसगांव में ऊंची जातियों के मुकाबले दलितों की संख्या करीब 5 गुना है, इसके बावजूद यूपी के अन्य जिलों की तरह यहां भी फिलहाल असल ताकत ब्राह्मण और ठाकुरों की पकड़ में मानी जाती है।
पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक, घटना के दिन सत्यमेव गांव के बाहर एक प्राइवेट स्कूल के बाहर से गुजर रहा था। यहां उसके दोस्त विवेक सिंह और सूर्यांश दुबे उसे पास के ही ट्यूबवेल पर खाना खिलाने के बहाने ले गए। इसी दौरान उनके बीच में किसी बात को लेकर बहस हो गई और सत्यमेव के दोस्तों ने उसे गोली मार दी। इसके बाद आरोपियों ने सत्यमेव के परिवार को हत्या की जानकारी दी और घटनास्थल से फरार हो गए।
इस पुरे मामले में आजमगढ़ रेंज के डीआईजी सुभास चंद्र दुबे का कहना है की वे जबतक आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ नहीं लेते, तब तक वे सत्यमेव के परिवार के दावों पर ही चल रहे हैं। उन्होंने कहा की अभी तक हत्या की वजह का पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह घटना काफी गंभीर हैं, क्योकि यह जनता के द्वारा चुने एक प्रतिनिधि के साथ हुआ हैं।