रायपुर। प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस में दूसरे और तीसरे क्रम के नेताओं की जल्दबाजी को समझ पाना आसान है। प्रदेश में भूपेश सरकार को करीब 20 माह होने को है और अभी तक रिक्त निगम, मंडल और आयोग की रिक्तियां पूरी नहीं हो पाई है। पूर्व में जो लिस्ट जारी हुई थी, उसमें ज्यादातर विधायकों को स्थान मिला, तो दूसरे क्रम के नेताओं को पदासीन किया गया। इसके बाद भी प्रदेश में राजनीतिक नियुक्यिां अभी भी बाकी है।
बीते सप्ताह प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के आगमन से यह कयास लगाए जा रहे थे कि शेष पदों के लिए नामों की घोषणा पर अंतिम मुहर लग जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके चलते प्रदेश के कांग्रेस नेता काफी ज्यादा निराश हो गए।
सियासी सूत्रों के मुताबिक जिन नामों पर मुहर लगाई जा सकती है, उसकी दो लिस्ट बन चुकी है और अब तीसरी लिस्ट तैयार किया जा रहा है, जो फायनल होगा और उसी सूची में दर्ज नामों को विभिन्न पदों पर आसीन किया जाएगा।
सियासी चर्चाओं की बात कहें तो पहली प्राथमिकता में प्रदेश के ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने भाजपा से उनकी सीटें छिनी थी। सियासी लफ्जों में विधानसभा चुनाव में पटखनी देकर अपनी जीत दर्ज की है। जाहिर सी बात है कि प्रदेश में कांग्रेस का प्रभाव बनाए रखने के लिए विधायकों को तरजीह दिया जाना जरूरी भी है, ताकि आने वाले चुनाव में कांग्रेस उसी दमदारी से मैदान में विरोधियों के खिलाफ बिगुल फूंक सके।
बात यहां पर दूसरी सूची के आने की है, तो पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 28 अगस्त तक कोई संभावना नहीं है। 25 से 28 अगस्त तक मानसून सत्र का दौर चलेगा, इस दौरान राजकीय कोष की भी समीक्षा होगी और प्रदेश के वर्तमान हालात पर सरकार की चर्चा होनी है। जिसके उपरांत ही निर्णय लिया जा सकेगा कि शेष रिक्त पदों पर नियुक्यिों को अंतिम स्वरूप दिया जाए।
इस संदर्भ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बहुत स्पष्ट कह दिया है कि पार्टी के प्रति समर्पित भाव से काम कर रहे लोगों को प्राथमिकता में लिया जाएगा। स्पष्ट है कि बीते 15 सालों से प्रदेश में भाजपा की सरकार रही, इस दौरान कांग्रेस विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करती रही। इन 15 सालों में विपक्ष में रहने के बाद भी जिनके कदम नहीं डगमगाए, सबसे पहला हक तो उनका ही बनता है। बहरहाल प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को अब उस सूची का इंतजार है, जिसमें उन्हें अपने नाम की घोषणा की उम्मीद है।