रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सुख-समृद्धि के प्रतीक का त्यौहार तीजा-पोरा तिहार के शुभ अवसर पर आज अपने रायपुर निवास परिसर में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के प्रचार के लिए सभी पांच संभागों हेतु तैयार किए गए विशेष प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवारा किया। इस रथ में एलईडी स्क्रीन के माध्यम से छत्तीसगढ़ में भगवान राम के चौदह वर्षों के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से होकर जाने वाले सभी स्थलों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
राम वन गमन पर्यटन परिपथ के प्रचार के लिए तैयार किए गए विशेष रथ सभी पांचों संभागों जिलों, विकासखण्डों और गांवों में जाकर राम वन गमन पर्यटन परिपथ के बारे में एलईडी प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों जानकारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी के लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष का गठन किया जाएगा। इस कोष में एकत्रित राशि देवालयों-देवगुडी के विकास में भी लगायी जाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल, पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, सचिव पर्यटन अन्बलगन पी., छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की प्रबंध संचालन इफ्फत आरा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि पर्यटन विभाग द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास के लिए 137 करोड़ का कॉन्सेप्ट प्लान बनाया गया है। इस परिपथ के तहत कुल 75 स्थान चिन्हित किए गए हैं। प्रथम चरण में 9 स्थालों सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल है। इस परियोजना की शुरूआत रायपुर के निकट स्थित चंदखुरी से हो गई है। चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है। यहां माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है, जो सातवीं शताब्दी का है। माता कौशल्या मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण तथा विकास के लिए 15 करोड़ 45 लाख रुपये की कार्य योजना पर कार्य किया जा रहा है।
राम वन गमन पर्यटन परिपथ के तहत लगभग 2260 किलोमीटर सड़कों का विकास किया जाएगा। लगभग 1400 किलोमीटर सड़कों के दोनों ओर वृक्षारोपण कार्य किया गया है। राम वन गमन पथ पर पहले चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया हैं, उन सभी में आकर्षक लैंडस्केप तैयार किया जाएगा। इन सभी स्थानों पर पर्यटकों के लिए नागरिक सुविधाओं का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। सभी स्थानों पर भव्य द्वार बनाए जाएंगे, जिनके शीर्ष पर भगवान राम का धनुष और उसकी प्रत्यंचा पर रखा हुआ तीर होगा। द्वार पर जय श्रीराम के घोष के साथ राम-पताका लहरा रही होगी।