रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर उनसे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टीविटी के लिए 454 स्टील ब्रिजों के निर्माण हेतु 1100 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने तोमर को पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के चहुंमुखी विकास के लिए इन इलाकों में सड़कों के निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित है। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से अच्छादित है और 76 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है, जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी वर्ग के लोग हैं। छत्तीसगढ़ का बड़ा भू-भाग दुर्गम है। जमीन की उत्पादकता वृद्धि, सम्पत्ति के निर्माण, रोजगार सृजन, कृषि उपज के नुकसान को कम करने और लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण अतिआवश्यक है।
ALSO READ – BIG NEWS : प्रदेश में अब नहीं लगाया जाएगा लॉकडाउन, फुल टाइम दुकाने खोलने पर किया जा रहा विचार – रविंद्र चौबे
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि हमारा फोकस अधोसंरचना विकास के कार्यो पर है। राज्य में 33 हजार 622 किलोमीटर लंबी 7300 ग्रामीण सड़कों का 264 बड़े पुलों (एलएसबी) सहित निर्माण किया गया है, जिनमें 9 स्टील ब्रिज हैं। इसके अलावा 7737 किलोमीटर लंबी 1240 सड़कें 114 बड़े पुलों (एलएसबी) सहित निर्माणाधीन हैं। इन क्षेत्रों की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्ष 2011 के पहले और उसके बाद भी बड़े पुलों का निर्माण नहीं कराया जा सका। राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास के कार्यो का गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने लगभग 1100 करोड़ रूपए की लागत के 454 बड़े पुलों (एलएसबी) को निर्माण के लिए चिन्हित किया है, जिनमें 250 स्टील ब्रिज शामिल हैं।
ALSO READ – BIG BREAKING : पान मसाला-सिगरेट जल्द हो सकते हैं महंगे, GST Council की 41वीं बैठक में होगा इस पर बड़ा फैसला
बघेल ने पत्र में लिखा है कि बस्तर छत्तीसगढ़ का सुदूर दक्षिण में स्थित संभाग है और नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। यह क्षेत्र दुर्गम भौगोलिक चुनौतियों और सघन वनों के साथ सीमावर्ती राज्यों से जुड़ा है। अब तक राज्य सरकार द्वारा बस्तर संभाग मंे 7228 किलोमीटर लंबी 1375 सड़कों का निर्माण किया गया है तथा 3009 किलोमीटर लंबी 692 सड़कें निर्माणाधीन हैं। इन क्षेत्रों में नक्सल गतिविधियों और निर्माण में लगने वाले लंबे समय के कारण बड़े पुलों (एलएसबी) का निर्माण व्यवहारिक (संभव) नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में स्टील ब्रिजों का बनाना ज्यादा आसान होगा, क्योंकि स्टील ब्रिज प्री फेब्रिकेटेड होते हैं और इनके निर्माण में समय भी कम लगता है। इसके अलावा ऐसे ब्रिजों के रख-रखाव और उन्नयन में काफी कम समय लगता है। ऐसे ब्रिजों को आवश्यकतानुसार सड़क सम्पर्क के लिए दूसरे स्थान पर स्थापित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि ऐसे ब्रिजों के निर्माण से आदिवासी और ग्रामीण लोगों को न सिर्फ अच्छी सड़क कनेक्टीविटी मिलेगी, बल्कि राज्य सरकार को इसके माध्यम से उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और बेहतर सड़क कनेक्टीविटी के कारण उनकी बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य और उचित मूल्य दुकानों तक पहुंच आसान बनाने में सहायता मिलेगी। इससे ग्रामीण और कृषि आय में बढ़ोतरी होगी, उत्पादकता बढ़ेगी, रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और गरीबी उन्मूलन के लिए सतत विकास का इको सिस्टम बनेगा।
बघेल ने पत्र में इन परिस्थितियों के मद्देनजर केन्द्रीय पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़क कनेक्टीविटी के लिए 454 स्टील ब्रिजों के निर्माण के लिए 1100 करोड़ रूप्ए की राशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया है।