क्या आपने किसी को मौत के बाद जिंदा होते दिखा है। यदि नहीं देखा तो हमारी ये खबर आपको यकीन दिलाने के लिए काफी होगी कि वाकई ये सिर्फ सुनी सुनाई बात नहीं बल्कि हकीकत है। वो भी ऐसी हकीकत जिस पर आपको यकीन करना होगा। क्योंकि अंतिम संस्कार की पूरी तैयारियों के बाद जब चिता में आग लगाने की बारी आई तो मुर्दे शरीर में जान आ गई है। अब जरा सोचिए यदि उस मुर्दा शरीर का पोस्टमार्टम हुआ होता तो क्या होता ? सोच कर ही आपकी रुह कांप गई होगी आईए हम आपको बताते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है?
अनोखी घटना पर यकीन कर पाना मुश्किल
ये अनोखी घटना छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में सामने आई है। जहां के मुरारीपाली ब्लॉक में एक यादव परिवार रहता है। परमानंद यादव इस परिवार के मुखिया हैं। बीते दिनों इस परिवार में बड़ी मुसीबत टूटी। इनकी पांच साल की नन्हीं बच्ची रात को खाना खाने के बाद परिवार के साथ जमीन में सो रही थी कि एक जहरीले नाग ने बच्ची को डस लिया। बच्ची की नींद जब अचानक खुली तो परिवार सन्न रह गया क्योंकि उसके बिस्तर पर एक नाग कुंडली मारे बैठा था। परिजनों ने नाग से बच्ची को दूर किया और तुरंंत बिना देरी किए उसे जिला अस्पताल लेकर आए। जिला अस्पताल में शुरुआती जांच के बाद बच्ची को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने उसे अपने साथ घर लाने का मन बनाया ताकि अगले दिन उसका क्रिया कर्म किया जा सके
क्या हुआ अगले दिन ?
अगले दिन सुबह सारे रिश्तेदार परमानंद के यहां इकट्ठे हुए । कर्मकांड के बाद बच्ची के शव के अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी कर ली गई। चिता में लकड़ी सजाई गई और बच्ची को विधान के साथ कफन समेत चिता पर लिटाया गया। चिता को ऊपर से अच्छे से ढंका गया ताकि शव जलने में परेशानी ना हो। कोरोना के काऱण ऐसे ही श्मशान में 20 से ज्यादा लोगों को इजाजत नहीं है लिहाजा सिर्फ पारिवारिक लोगों ने ही इस विधान में हिस्सा लिया। पंडित ने मंत्र पढ़ने शुरु किए और शरीर की आखिरी विदाई देने की प्रक्रिया शुरु हुई। सारे विधान के बाद पिता ने बच्ची की चिता को आग लगा दिया। चिता धूं-धूं करके अभी जल ही रही थी कि अचानक चिता से चीखने चिल्लाने की आवाजें आने लगी। पहले तो लोग इस तरह की आवाज सुनकर डर गए । फिर जब बच्ची जोर जोर से रोने लगी तो उसके पिता ने आनन-फानन में चिता से लकड़ियां हटाई और जिगर के टुकड़े को बाहर खींच लिया। हर कोई इस हैरान कर देने वाले दृश्य को देखकर स्तब्ध रह गया। बच्ची भी अपने पिता के सीने से लिपटकर रोने लगी। आखिरकार जिस बच्ची को उसके परिवार ने अर्थी में श्मशान के लिए विदा किया था वो अपने पिता के साथ गोद में वापस घर आई। जिसके बाद से घर में खुशहाली का माहौल है।
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