हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश चतुर्थी पर गणपति की प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा है। इस अवसर पर लोग खूब धूमधाम से गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं , गणेश चतुर्थी के मौके पर लोग अपने घर में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी विधिवत पूजन करते हैं ऐसी मान्यता है कि इस दौरान गणेश जी अपने भक्तों के आसपास ही होते हैं और उनकी पूजा स्वीकार करते हैं। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इकोफ्रैंडली गणेश बनाया जा रहा है। गणेश जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, बस जरूरत है सही तरीके से पूजा करने की , तो इस गणेश चतुर्थी अपनाये ये विधि और घर लाएं खुशियां।
पूजन विधि –
सबसे पहले पूजन की शुरुआत में हाथ में अक्षत, जल एवं पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन, गणेश ध्यान एवं समस्त देवताओं का स्मरण करें। इसके बाद अब अक्षत एवं पुष्प चौकी पर समर्पित करें , इसके पश्चात एक सुपारी में मौली लपेटकर चौकी पर थोड़े-से अक्षत रख उस पर वह सुपारी स्थापित करें। भगवान गणेश का आह्वान करें। गणेश आह्वान के बाद कलश पूजन करें। कलश उत्तर-पूर्व दिशा या चौकी की बाईं ओर स्थापित करे , कलश पूजन के बाद दीप पूजन करें.इसके बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणेश पूजन करें।
षोडषोपचार पूजन इस प्रकार होता है
– सबसे पहले आह्वान करते हैं.
– इसके बाद स्थान ग्रहण कराते हैं.
– हाथ में जल लेकर मंत्र पढ़ते हुए प्रभु के चरणों में अर्पित करते हैं.
– चंद्रमा को अर्घ्य देने की तरह पानी छोड़ें.
– मंत्र पढ़ते हुए 3 बार जल चढ़ाएं.
– पान के पत्ते या दूर्वा से पानी लेकर छींटें मारें.
– सिलेसिलाए वस्त्र, पीताम्बरी कपड़ा या कलावा चढ़ाएं.
– जनेऊ, हार, मालाएं, पगड़ी आदि चढ़ाएं.
– इत्र छिड़कें या चंदन अर्पित करें. फूल, धूप, दीप, पान के पत्ते पर फल, मिठाई, मेवे आदि चढ़ाएं.
इसके बाद परंपरागत पूजन करें और आरती करें।