रायपुर। कोरोना वायरस का डर ही सही, लोगों की खानपान की आदतें बदलने लगी हैं, लोग शाकाहार की ओर तेजी से बढऩे लगे हैं। पर्व पर इस बार लोगों ने पनीर, कटहल और मशरूम के सेवन को जबरदस्त तरजीह दी जिसके चलते इनके दाम में भारी वृद्धि हुई है। रूटीन में भी अब चिकन और मटन खाने से लोग परहेज कर रहे हैं।
कटहल वर्तमान में पुरे विश्व में सुपर फ़ूड की जगह ले रहा है. भारत के केरल में कटहल की खेती करने वालों किसानों की आय चार गुनी हो गई है. केरल के कटहल के मांग विदेशों में भी है. इसकी खेती के लिए किसानों को चार साल का संयम रखना पड़ता है फिर यह हर साल 20 लाख रूपए तक मुनाफा देता है. आच्छी बात यह है कि 45 साल तक पेड़ फल देते हैं, हां समय-समय पर जरूरी दवाइयों का छिड़काव करना पड़ता है.कोरोना काल में मिट की जगह लोग कटहल की सब्जी खाना पसंद कर रहे है.
साल 2018 में केरल सरकार ने इसे राजकीय फल भी घोषित कर दिया। सब्जी और फल दोनों ही तरह से इस्तेमाल होने वाले कटहल से कई तरह के उत्पाद बनाये जाते हैं।
कटहल के गुण
कटहल का उपयोग सब्जी के रूप में तो पुरे भारत में पसंद किया जाता है इसके अलावा कटहल को आचार बना के भी खाया जाता है कटहल फलो में सबसे बड़ा फल होता है जो की अपने गुणों के लिए भी हमेशा हमारे किचन की शोभा बढ़ाता है कटहल के गुणों की बात करे तो ये आयरन, विटामिन ए, सी, , सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, और जिंक की भरपूर मात्रा लिया हुवा है पुरे भारत में करीब 18 हजार हेक्टेयर में कटहल की खेती की जाती है जिसमे अकेले आसाम में 8 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है
कटहल की किस्मे
कटहल में 2 तरह की प्रजातिया खास तोर पर होती है जिनमे एक मुलायम गुदे वाली और एक ठोस गुदे वाली होती है इसके अतिरिक्त और भी किस्मे कटहल की पायी जाती है जिनमे से कुछ चम्पा,खाजा ,गुलाबी है
कटहल के लिए भूमि का चयन-
कटहल की जडे गहरी होने के कारण हमे हमेशा कटहल को दोमट मिट्टी में ही इसकी बुवाई करना चाहिए जल के निकास के लिए ये मिटटी उत्तम विकल्प है समुद्र ताल से करीब 1500 मीटर की उचाई पर कटहल को लगाया जा सकता है कटहल के लिए भूमि के चयन मे ph 7-7.5 होना चाहिए कटहल एक लम्बी अवधि तक जीवित रह कर फल देने वाली खेती है