बीजिंग। चीन और पाकिस्तान की एक खतरनाक तैयारी का पता चला है। वे जैविक हथियार बनाने के लिए वर्ष 2015 से ही खतरनाक रोगाणुओं पर परीक्षण कर रहे हैं। इस घातक मंसूबे को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की आड़ में अंजाम दिया जा रहा है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवादों में घिरे चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को इस काम का जिम्मा सौंपा गया है।
क्लाक्सोन की रिपोर्ट के अनुसार, वुहान इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की टीम पाकिस्तान के साथ मिलकर घातक रोगाणुओं पर प्रयोग कर रही है। यह परीक्षण पाकिस्तान में पिछले करीब पांच साल से चल रहा है। पिछले माह यह उजागर हुआ था कि चीन और पाकिस्तान ने जैविक हथियारों की क्षमता बढ़ाने के लिए तीन साल के लिए एक गोपनीय करार किया है। वुहान इंस्टीट्यूट और पाकिस्तानी वैज्ञानिकों की ओर से किए गए पांच अध्ययन सांइटिफिक पेपर्स में प्रकाशित किए गए हैं। प्रत्येक अध्ययन में जूनोटिक रोगाणुओं की पहचान और उनके लक्षणों के बारे में विवरण दिया गया है। ये रोगाणु संक्रामक होते हैं, जो पशुओं से इंसानों में पहुंच सकते हैं। इन अध्ययनों में वेस्ट नील वायरस, मर्स-कोरोना वायरस, क्रीमिया-कांगो हेमोरेजिक फीवर वायरस, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम और चिकनगुनिया वायरस को भी शामिल किया गया है। फिलहाल इन रोगाणुओं से निजात के लिए कोई प्रभावी उपचार या वैक्सीन नहीं है। इनमें से कई वायरस बेहद घातक और संक्रामक माने जाते हैं।