बिलासपुर। सरगुजा की सहकारी समितियों द्वारा इन दिनों किसानों को एक किलो के रासायनिक उर्वरक के पैकेट का वितरण किया जा रहा है। इसे यूरिया का विकल्प बताया जा रहा है। इंस्टा ग्रोमोर नामक यह पाउडर इन दिनों किसानों को प्रति एकड़ खेत के हिसाब से प्रति किलो दिया जा रहा है। यह वजन और कीमत में यूरिया के मुकाबले कम है और इसे फसलों के लिए ज्यादा प्रभावशाली व कीट अवरोधी गुणों वाला बताया जा रहा है।
पांच वर्ष पहले भी शुरू हुआ था प्रयोग
बता दें कि पांच साल पहले भाजपा शासनकाल में भी उर्वक एनपीके की जगह ग्राेमाेर का प्रयोग शुरू हुआ था। साल 2015 में किसानों ने इसका प्रयोग किया और इसकी वजह से उनको फसल उत्पादन का नुकसान भी झेलना पड़ा था। गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने के बाद में वापस उर्वरक के रूप में यूरिया का प्रयोग शुरू हुआ। सरकार एक बार फिर ग्रोमाेर को यूरिया के विकल्प के रूप में ले कर आई है।
– शशांक शिंदे, उप संचालक, कृषि