नई दिल्ली। भारत और विदेश के 150 से ज्यादा शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई मेंस और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा नीट को और टालने का मतलब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा क्योंकि इससे उनका एक कीमती साल बर्बाद हो जाएगा। उधर, एनटीए ने नीट के प्रवेश पत्र भी जारी कर दिए है। जिसे जारी होने के चार घंटे के भीतर ही साढे पांच लाख से ज्यादा छात्रों ने डाउनलोड भी कर लिया है।
शिक्षाविदों ने पत्र में कहा है, ‘कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेल रहे हैं। युवा और छात्र देश का भविष्य हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उनके करियर पर भी अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। प्रवेश और कक्षाओं को लेकर काफी आशंकाएं हैं जिन्हें जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है।’ पत्र के मुताबिक, हर साल की तरह इस साल भी लाखों छात्रों ने 12वीं की परीक्षा पास की है और अब वे घर में बैठकर अगले कदम का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू और आइआइटी दिल्ली के अलावा लंदन यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, यरूशलम के हिब्रू यूनिवर्सिटी और इजरायल के बेन गुरियन यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद भी शामिल हैं।
दरअसल इन परीक्षाओं का विरोध कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किया जा रहा है। कोरोना काल में परीक्षाओं को लेकर यह असमंजस अकेले जेईई मेन और नीट को लेकर नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष तथा दूसरी परीक्षाओं से भी जुड़ा है। वैसे तो इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग पिछले कई महीनों से उठ रही है, लेकिन सरकार का मानना है कि शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इनका आयोजन जरूरी है।