दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में आगे और कटौती के संकेत देते हुए गुरुवार को कहा है कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जल्द नहीं हटाया जाएगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि, ‘चाहे दर में कटौती हो या फिर अन्य नीतिगत कदम, हमारे तरकश के तीर अभी खत्म नहीं हुए हैं।’
आरबीआई ने छह अगस्त को जारी नीतिगत समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल रेपो दर चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले दिनों घोषित राहत उपायों के बारे में दास ने कहा, ‘किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा।’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में एक कदम है।
दास ने कहा, ‘बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी महत्वपूर्ण है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।’
अस्थायी समाधान था लोन मोरेटोरियम
लॉकडाउन के दौरान आम जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए। इन्हीं में से एक है लोन मोरेटोरियम यानी लोन स्थगन की सुविधा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लोन मोरेटोरियम की सुविधा एक अस्थायी समाधान था। ऋण समाधान ढांचे से कोविड-19 संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है।
कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से आरबीआई की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही है। आरबीआई द्वारा किए गए उपायों का उद्देश्य कोविड-19 की कठिन स्थिति से निपटना है और यह स्पष्ट रूप से स्थायी नहीं है।
उन्होंने कहा कि महामारी के रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। वित्तीय क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। दास ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा।
कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है।
तनाव का सामना करेंगे बैंक
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में एक कदम है, बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी महत्वपूर्ण है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है। अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।
कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि बैंकों में धोखाधड़ी से बचने के लिए सुधार लाने की काफी गुंजाइश है।