रायपुर। छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पेश अशासकीय संकल्प बहुमत से पारित हुआ। सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के सदस्यों ने भी संकल्प का समर्थन किया।
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संकल्प पेश करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पहले भी राजभाषा को 8वी अनुसूची में शामिल करने प्रस्ताव लाया गया था। हमारी सरकार बनने के बाद मंत्रालय में छत्तीसगढ़ी में बात हो रही है. खान-पान रहन-सहन सबको बढ़ावा दिया जा रहा है।
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इसके लिए कमेटी बनना चाहिए कि 8वीं अनुसूची में किसी भाषा को जोड़ने और काम करने के लिए समिति बने, जो गृहमंत्रालय से पत्राचार करे। छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण बस्तर से सरगुजा तक एकरूपता होनी चाहिए। भाषा के मानकीकरण का प्रयास होना चाहिए। छत्तीसगढ़ी में बोली भाषा के प्रकाशन का काम हिंदी ग्रंथ अकादमी करेगी। हिंदी ग्रन्थ अकादमी में ताला खुलता है या नहीं, कर्मचारियों को तनख्वाह मिलती है नहीं यह चेक कराइये।
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उन्होंने कहा कि यह भी तय हो कि छत्तीसगढ़ी में संसदीय और असंसदीय शब्द क्या क्या है। आज तक एमए छत्तीसगढ़ी किये कितने छात्रों को नौकरी मिली। छत्तीसगढ़ के समकालीन साहित्यकारों का प्रकाशन हो। सीपी एन्ड बरार के गजेटियर में 1926 में छतीसगढ़ी के व्याकरण प्रकाशित है। छत्तीसगढ़ी शब्द 14वीं शताब्दी का शब्द है। बृजमोहन अग्रवाल, अरुण वोरा तीन पीढ़ी से छत्तीसगढ़ में हैं। पहले तय करिए कौन छत्तीसगढ़िया है। मैं अपनी सरकार की असफलता को पहले ही स्वीकार कर चुका हूं।
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कांग्रेस विधायक संगीता सिन्हा ने कहा कि छ्त्तीसगढ़ी अस्मिता को सीएम बढ़ा रहे हैं। आज तक छत्तीसगढ़ी बोलने में झिझक होती है। जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि मातृभाषा स्वाभिमान का प्रतीक है, व्याकरण की दिशा में ध्यान देना चाहिए, इसे पार्टी गत भावना से दूर रखते हुए निर्णय लेना चाहिए। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ी बोली में ताकत है, भाषा समृद्ध है, यह ढाई करोड़ छत्तीसगढ़ियों के सम्मान का विषय है।