रायपुर। प्रदेश में कोरोना के कई ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण तो नजर नहीं आते, लेकिन संक्रमित होने के सप्ताह भर के अंदर ही दम तोड़ रहे हैं। ऐसे मरीजों में हैपी हाईपोक्सिया की समस्या देखी जा रही है, जो लक्षण नजर आए बिना ही मौत का कारण बन रही है।
एम्स रायपुर में एसोसिएट प्रोफेसर और शिशु रोग विभाग के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अतुल जिंदल ने बताया कि हैपी हाईपोक्सिया वाले मरीजों को कोरोना के लक्षण बहुत कम महसूस होते हैं। गले में ऑक्सीजन की मात्रा को पहचानने वाले अंग को नुकसान पहुंचने की वजह से मरीज को पता नहीं चलता और हृदय सहित शरीर के अन्य अंगों में दिक्कत आने से मौत हो जाती है।
राज्य में कोरोना से हुई मौत के कई मामलों में यह समस्या सामने आई है। नई तरह की समस्या होने की वजह से इस पर शोध भी चल रहा है। डॉ. जिंदल ने बताया कि कोरोना संक्रमण नाक, मुंह और आंख से शरीर में प्रवेश करने के बाद सीधे फेफड़ों में पहुंचता है। संक्रमण से फेफड़े में ऑक्सीजन और कार्बनडाईऑक्साइड उत्सर्जन क्रिया करने वाली जगह के आसपास खून के थक्के जम जाते हैं। आसपास पानी भर जाता है। इसकी वजह से निमोनिया हो जाता है।
डॉ. जिंदल ने बताया कि कोरोना वायरस बढ़ने के साथ ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म करने लगता है। यह फेफड़ों के बाद हृदय, गुर्दे, किडनी, दिमाग सहित शरीर के अन्य क्रियाशील अंगों को निष्क्रिय कर देता है। इस स्थिति में मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचता है और उसके बचने की संभावना काफी कम हो जाती है।
अब तक तक 231 की मौत