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Mission चंद्रयान-3 : इसरो चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी में, मूवमेंट के टेस्ट के लिए धरती पर उतार रहा है ‘चांद’

Poonam Shukla
Last updated: 2020/08/29 at 6:26 PM
Poonam Shukla
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5 Min Read
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Contents
also read – किसानों के लिए बड़ी खबर : किसान क्रेडिट कार्ड पर 31 अगस्त तक ही मिलेगी ब्याज पर छूट, नहीं चुकाने पर होगा बड़ा नुकसानतीन सब समितियों की हुई बैठकalso read – IAS सोनमणि बोरा सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे दिल्ली, भूपेश सरकार ने दिया एनओसीचंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के मूवमेंट की प्रैक्टिस के लिए बनाये जायेंगे गढ्ढेतेज गति से चल रहा चंद्रयान 3 का कार्य 

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सितंबर 2019 में पहली बार में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने में असफल रहा. अब जल्द ही इसरो चंद्रयान 3 को चंद्रमा की तरफ रवाना कर सकता है। भारत के ऐतिहासिक चंद्र मिशन Chandrayaan 2 के बारे में किसे नहीं पता होगा. मालूम हो कि 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत को चांद की दक्षिणी सतह पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग करानी थी। हालांकि, अंतिम क्षणों में लैंडर की रफ्तार नियंत्रित न हो पाने के कारण वह रास्ता भटक गया और चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की जगह उसकी हार्ड लैडिंग हुई।

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वह भी अपने निर्धारित स्थान से करीब 600 मीटर दूर। इसके बाद लैंडर से न तो संपर्क स्थापित किया जा सका और न ही उसने वहां कुछ काम किया। बहरहाल अब इसे लेकर दुखी होने की जरूरत नहीं है, बल्कि ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने फिर से दोबारा महनत करने का सोचा है। सूत्रों का कहना है कि इसरो अब जल्द चंद्रयान 3 को चंद्रमा की तरफ रवाना कर सकता है।


तीन सब समितियों की हुई बैठक

इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। इसके लिए इसरो ने पैनल के साथ तीन सब समितियों की अक्तूबर से लेकर अब तक तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। इस नए मिशन में केवल लैंडर और रोवर शामिल होगा क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ठीक तरह से कार्य कर रहा है। मंगलवार को ओवरव्यू (समीक्षा) कमिटी की बैठक हुई। जिसमें विभिन्न सब समितियों की सिफारिशों पर चर्चा की गई। समितियों ने संचालन शक्ति, सेंसर, इंजिनियरिंग और नेविगेशन को लेकर अपने प्रस्ताव दिए हैं।

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चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के मूवमेंट की प्रैक्टिस के लिए बनाये जायेंगे गढ्ढे

सूत्रों ने बताया कि छल्लाकेरे इलाके में चांद के गड्ढे बनाने के लिए हमने टेंडर जारी किया है। हमें उम्मीद है कि सितंबर की शुरुआत तक वो कंपनी मिल जाएगी जो ये काम पूरा करेगी. इन गड्ढों को बनाने में 24.2 लाख रुपये की लागत आएगी।

ये गड्ढे 10 मीटर व्यास और तीन मीटर गहरे होंगे। ये इसलिए बनाए जा रहे हैं ताकि हम चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के मूवमेंट की प्रैक्टिस कर सकें। साथ ही उसमें लगने वाले सेंसर्स की जांच कर सकें। इसमें लैंडर सेंसर परफॉर्मेंस टेस्ट किया जाएगा। इसकी वजह से हमें लैंडर की कार्यक्षमता का पता चलेगा।

चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 मिशन भी अगले साल लॉन्च किया जाएगा। इसमें ज्यादातर प्रोग्राम पहले से ही ऑटोमेटेड होंगे। इसमें सैकड़ों सेंसर्स लगे होंगे जो ये काम बखूबी करने में मदद करेंगे। लैंडर के लैंडिंग के वक्त ऊंचाई, लैंडिंग की जगह, गति, पत्थरों से लैंडर को दूर रखने आदि में ये सेंसर्स मदद करेंगे।

इन नकली चांद के गड्ढों पर चंद्रयान-3 का लैंडर 7 किलोमीटर की ऊंचाई से उतरेगा। 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर आते ही इसके सेंसर्स काम करने लगेंगे। उनके अनुसार ही लैंडर अपनी दिशा, गति और लैंडिंग साइट का निर्धारण करेगा। इसरो के वैज्ञानिक इस बार कोई गलती नहीं करना चाहते इसलिए चंद्रयान-3 के सेंसर्स पर काफी बारीकी से काम कर रहे हैं।


तेज गति से चल रहा चंद्रयान 3 का कार्य 

इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार कार्य तेज गति से चल रहा है। इसरो ने अब तक 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं का खाका खींच लिया है। जिसमें लैंडिंग साइट, नेविगेशन और लोकल नेविगेशन शामिल हैं। इसरो ने कई समितियों, जिनमें एक समग्र पैनल और तीन उप-समितियों का गठन किया है। वहीं, इसे लेकर अक्टूबर से कम से कम चार उच्च-स्तरीय बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। बताया गया कि चंद्रयान 3 मिशन में केवल लैंडर और रोवर शामिल किया जाएगा, क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अब भी अच्छे से काम कर रहा है और चांद की कक्षा में परिक्रमा करते हुए उसकी हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर इसरो को भेज रहा है। नए मिशन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता ‘लैंडर के पैर मजबूत करना’ है। सूत्रों ने कहा कि इसरो एक नया लैंडर और एक रोवर का निर्माण करेगा। लैंडर पर पेलोड की संख्या पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

TAGGED: 'Moon' is landing on earth for the test of movement, Mission 2020: In preparation to launch ISRO Chandrayaan-3, ग्रैंड न्यूज़, चंद्रयान-3
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