जशपुरनगर। सड़क के अभाव में एक गर्भवती को खाट में लिटाकर पांच किलोमीटर पैदल लेकर परिजन सड़क तक पहुंचे, वहां भी महतारी एक्सप्रेस नहीं मिली। इसके बाद परिजन निजी वाहन की व्यवस्था कर सोमवार शाम पांच बजे कुनकुरी अस्पताल पहुंचे जहां महिला का इलाज किया जा रहा है।जशपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र आज भी विकास की राह देख रहे हैंं। छत्तीसगढ़ राज्य भले ही सन 2000 से सन 2020 में पहुच गया है लेकिन सड़क, बिजली, पानी की समस्याएं आज भी कई गांवों में बनी हुई है।
ऐसे ही एक मामले में ग्राम पंचायत तम्बाकछार के आश्रित गांव जबला से एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर सड़क की सुविधा नहीं होने की स्थिति में परिजन खाट पर ढोकर 5 किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी महतारी एक्सप्रेस नहीं मिला तो निजी वाहन से अस्पताल पहुंचे, तब जाकर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। कल शाम साढ़े पांच बजे महिला कुनकुरी अस्पताल पहुंची जहां उसका उपचार जारी है। यहां रहने वाले ग्रमीणों को सड़क जैसी आधारभूत संरचना के अभाव में ऐसी दिक्कतें आए दिन झेलनी पड़ती है।
प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवतियों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की जरूरत होती है, लेकिन सड़क के अभाव में महिलाओं के लिए शुरू की गई महतारी एक्सप्रेस सेवा भी अनुपयोगी साबित हो रही है। स्वास्थ्य सुविधा की बेहतरी को लेकर शासन भले ही लाख दावे कर रहा हो, पर आज भी सूबे के कई गांव ऐसे हैं, जहां तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती। पोटापानी व सोनईपुर के बीच के पांच किलोमीटर की सड़क वर्षों बाद भी दुरुस्त नहीं हो सका है। ग्राम पंचायत तम्बाकछार से जबला तक पहुंचने का एकमात्र साधन पदयात्रा है। गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए देहाती एंबुलेंस यानी खाट की डोली बनाई जाती है और चार लोग इसे कंधे पर उठाकर पदयात्रा करते हुए दो नाला पार कर पगडण्डी के रास्ते से तम्बाकछार तक पहुंचते हैं।