रायपुर। राजधानी रायपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अस्थिरता का माहौल बना हुआ रोज बढ़ रहे कोरोना मरीजों की तादाद ने पूरे प्रदेश वासियों को हलकान कर दिया है।
प्रतिदिन हालात बद से बदतर और गंभीर होते जा रहे हैं। बुधवार को सामने आए नतीजों ने प्रदेश के लोगों को और भी ज्यादा सोचने पर मजबूर कर दिया है।
राजधानी रायपुर में जहां एक ही दिन में 975 मरीजों की पुष्टि की गई तो पूरे प्रदेश में यह संख्या 22 सौ के पार हो गई। बीते पूरे 1 माह की बात की जाए तो हर दिन सैकड़ों की तादाद में लोग संक्रमित होते गए और रोज मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही चला गया।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति अब तक लोगों को नहीं मालूम थी जिसकी वजह से विश्वास बना हुआ था लेकिन वर्तमान दौर में अब हर किसी के सामने स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि सरकारी अस्पतालों में ना तो कोरोना का इलाज संभव है और ना ही जीवन संभव है।
इन सरकारी अस्पतालों से लौटने वाले मरीजों की अगर बात माने तो वहां पहुंचने के बाद किसी तरह का कोई उपचार नहीं होता केवल दवाइयों की पुड़िया छोड़ दी जाती है और मरीजों को उनके हाल पर बिस्तर में लिटा दिया जाता है और ठीक 10 दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
कोरोना वायरस की चपेट में आने वाला अब हर एक शख्स यह सोचने लगा है कि अस्पताल से बेहतर तो टेस्ट ना कराना ही ज्यादा अच्छा है आलम यह है कि ज्यादातर लोग खुद में कोरोना का लक्षण देखते ही होम आइसोलेशन को प्राथमिकता देने लगे हैं। वही बड़ी तादाद में लोग मनोचिकित्सक के संपर्क में है ताकि अस्पताल में मरने की बजाय किसी तरह अपने जीवन को सुरक्षित कर सकें।