दिल्ली। चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारतीय नौसेना ने रूस की नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास में अपना पराक्रम दिखाया है। बंगाल की खाड़ी में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर चालू हुआ यह संयुक्त अभ्यास दो दिन तक चलेगा। अधिकारियों ने कहा, इस संयुक्त अभ्यास का मकसद विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों नौसेनाओं की अंतर क्षमता को मजबूत करना है।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक माधवई ने बताया कि द्विवार्षिक अभ्यास ड्रिल इंद्र नेवी के 11वें संस्करण के तहत चल रहे संयुक्त अभ्यास के दौरान समुद्री संचालन के स्पेक्ट्रम में इधर से उधर तक बहुत सारी गतिविधियां आयोजित की गईं, जिनमें सतह व विमान निरोधक ड्रिल, फायरिंग एक्सरसाइज, हेलिकॉप्टर ऑपरेशंस और भंडारण की गतिविधियां प्रमुख रहीं।
अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना ने गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर रणविजय, स्वदेशी फ्रिगेट सहयाद्री और फ्लीट टैंकर शक्ति तथा अपने हेलिकॉप्टरों के साथ अभ्यास सत्र में कमी रह जाएगा। रूस की तरफ से डिस्ट्रॉयर एडमिरल विनोग्रादॉव, डिस्ट्रायर एडमिर ट्रिब्यूट्स और फ्लीट टैंकर बोरिस बुटोमा को अभ्यास में भेजा है।
चीन से तनाव के बीच बेहद अहम माने जा रहे इस संयुक्त अभ्यास से पहले भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अपने युद्धपोत और पनडुब्बियां उतारकर बीजिंग को सख्त संदेश दिया था। हिंद महासागर में मालदीव के करीब मलक्का की खाड़ी के आसपास का समुद्री खेत्र चीन के लिए बेहद अहम है। इस मार्ग को बंद करने पर चीन के लिए समुद्र के रास्ते अपनी अर्थव्यवस्था की सप्लाई चेन को चला पाना मुश्किल हो जाएगा।
जुलाई में भारतीय नौसेना ने यूएस नेवी करियर स्ट्राइक ग्रुप के नेतृत्व वाले परमाणु सक्षम युद्धपोत एसएस निमित्ज के साथ अंडमान निकोबाद द्विप समूहों के किनारे पर संयुक्त अभ्यास किया गया था। अमेरिका के निमित्ज को दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत माना जाता है। इसके बाद जून में ऐसा ही अभ्यास भारत ने जापानी सेना के साथ भी किया था।