रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जनसमुदाय के मत जनचेतना के प्रयोजन हेतु एक विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है जिसके अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ई-विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को संबोधित करते हुए दुर्ग न्यायालय की सिविल जज आकांक्षा सक्सेना ने सोशल मीडिया के माध्यम से आमजनों को बालकों की अभिरक्षा विषय पर जानकारी दी।
न्यायाधीश आकांक्षा ने बताया कि इस विषय के अंतर्गत बालकों की देखरेख का कानूनी अधिकार आमजनों को बताया गया है जिसमें न्यायालय किन प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए ही निराकरण करेंगे इसकी जानकारी भी दी गयी है। यह निजी एवं पारिवारिक मामला है इसलिए इसमें निजी विधियों के माध्यम से ही मामले को निपटाया जा सकेगा। उन्होंने आगे कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी न्यायालयों को यह निर्देशित किया गया है कि मामले का निराकरण बालकों के हित कल्याण एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही किया जाना चाहिए साथ जी संरक्षकता एवं प्रतिपाल अधिनियम को हर धर्म के व्यक्तियों पर लागू किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि अगर बच्चा बुद्धिमान है और परखे जाने पर वह अपने अच्छा-बुरा समझने में सक्षम है तो वह स्वयं अपनी अभिरक्षा का चुनाव का अधिकार रखता है।
न्यायाधीश आकांक्षा सक्सेना ने कहा कि न्यायालय आज बालक की परवरिश के अधिकार को ऊपर रखते हुए ही अपना फैसला सुनाती है। बालक कोई संपत्ति नहीं है बल्कि मानव है और यह मानव समस्या है जिसका मानवीयता के तराजू पर परिस्थितियों को तौल कर उचित रूप से ही निराकरण किया जाना सही है।
अंत में उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की विधिक जानकारी के लिए कोई भी व्यक्ति अपने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है। यह ई-विधिक साक्षरता शिविर एक प्रयास है जिसके माध्यम से आम जनता को कानून की जानकारी दी जा रही है।
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