मुंबई। उड़िया फिल्मों के लेखक और निर्देशक शारदा प्रसन्ना नायक ने 93 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। बुधवार की शाम उनका निधन भुवनेश्वर के एक अस्पताल में हुआ। उम्र हो जाने की वजह से शारदा कुछ समय से अपनी बीमारी से जूझ रहे थे और इसी बीच वह कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे।
शारदा 60, 70 और 80 के दशक के उड़िया फिल्मों के जाने वाले फिल्म निर्देशक और लेखक रहे हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1956 में आई फिल्म ‘भक्ता जयदेव’ से एक निर्देशक के रूप में की थी। 1962 में आई उड़िया भाषा की फिल्म ‘लक्ष्मी’ का निर्देशन भी शारदा ने ही किया है। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा शारदा ने ‘का’ और ‘स्त्री’ जैसी यादगार फिल्में भी बनाईं।
भले ही वह फिल्मों में काम कर रहे थे लेकिन उसी समय वह टीवी और रंगमंच में भी उतने ही सक्रिय थे। फिल्मों के निर्देशन के साथ में उन्होंने फिल्में लिखीं और लगभग 200 गाने भी उन्होंने लिखे। वर्ष 2013 में ही शारदा को जयदेव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उड़िया सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान है। काफी लंबे समय से वह सिनेमा से दूर रहे और अब वह अपनी उम्र और कोरोना वायरस से जिंदगी की जंग हार गए।
फिल्मों पर शोध करने वाले और फिल्म जर्नलिस्ट्स फोरम के संस्थापक सूर्य देव ने बताया कि शारदा को कुछ ही समय पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब उनका कोरोना वायरस का परीक्षण किया गया तो वह भी सकारात्मक आया। और बुधवार शाम को ही एक प्राइवेट अस्पताल में उनका निधन हो गया। इससे पहले मंगलवार को उड़ीसा के ही मूल निवासी रहे हिंदी फिल्मों के सिनेमैटोग्राफर गागरिन मिश्रा भी इस दुनिया को छोड़ चुके हैं।