रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में कोरोना ने हाहाकार मचाया हुआ है। राजधानी में हर दिन सामने आने वाले आंकड़े, बेशक डरावने हैं, लेकिन रायपुर जिला प्रशासन कोरोना के हर प्रहार का जवाब देने जीतोड़ मेहनत कर रहा है, इस हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता। शासकीय अस्पतालों के साथ ही महंगे निजी अस्पतालों में बेड कम होता देख, जिला प्रशासन ने होम आइसोलेशन की प्रक्रिया को शिथिल करते हुए इस सुविधा को ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
होम आइसोलेशन की सुविधा को शिथिल करने का लाभ भी मिलने लगा है, अस्पतालों में जहां दबाव कम हो रहे हैं, तो वहीं अब रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ने लगा है, जिसका उदाहरण गुरूवार को सामने आया, जब पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ पूरे प्रदेश से स्वस्थ हेाकर अपने घर लौट आए। इस विषय को लेकर जिला प्रशासन अब और ज्यादा गंभीरता से ध्यान दे रहा है। इस विषय को लेकर हमने जिला प्रशासन के युवा आईएएस अधिकारी और रायपुर के एडीएम विनीत नंदनवार से खास बातचीत की और उनसे जानने का प्रयास किया कि किस तरह से इस भयावह बीमारी से निजात पाने की दिशा में प्रयास जारी हैं, इस पर एडीएम नंदनवार ने पूरे विस्तार से ग्रेंड न्यूज के माध्यम से राजधानी की जनता को बताया कि कोरोना की जंग में किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है। बेशक यह बड़ी तादाद में नुकसान पहुंचा चुका है, लेकिन अब स्थिति को नियंत्रित करने बेहतर उपाय शुरू हो चुके हैं।
एडीएम नंदनवार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अब तक जो नुकसान उठाना पड़ा है, वह इसलिए कि आम लोग ज्यादा डर गए, उन्हें यह लगने लगा था कि वे संक्रमित हो गए हैं, तो उनका उपचार नहीं हो पाएगा, लेकिन बड़ी संख्या में जिन्होंने डटकर मुकाबला किया, वे पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं।
एडीएम नंदनवार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर किसी भी आम इंसान में 14 दिनों तक रहता है, लेकिन डॉक्टर्स की माने तो कम से कम 17 दिनों तक उन्हें आराम करना चाहये ताकि वायरस पूरी तरह से खत्म हो सके। इस दौरान इन कोरोना मरीजो की देखभाल और बेहतर उपचार के लिए जिला प्रशासन द्वारा खास इंतेजाम किये गए। बता दे रायपुर में रोजाना 700 से 1000 पॉजिटिव मरीजो की संख्या बढ़ रही है। जिसमे 60 से 70 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन में हंै। ऐसे मरीजो के लिए जिला प्रशासन ने एक एप बनाई है जिसकी माॅनिटरिंग के लिए 24 घंटे एक विशेष टीम काम कर रही है। यही नही घर पर रहने वाले मरीजो को किसी भी डॉक्टरी सलाह के लिए भी अलग अलग शिफ्ट में 3-3 डॉक्टरों की टीम काम कर रही है।
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एडीएम नंदनवार का मानना है कि संक्रमण की चपेट में आने वाले लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है, बल्कि धैर्य से काम लेने की जरूरत है। जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों के साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों से मिलने वाली जानकारी उनके लिए काफी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना ने जब पैर रखा था, तब से सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए जा रहे हैं, और जो लोग पालन कर रहे हैं, वे आज भी सुरक्षित हैं।
अनलाॅक इंडिया के सवाल पर एडीएम नंदनवार ने कहा कि जिंदगी को रोककर नहीं रखा जा सकता। अपने काम और दिनचर्या को पटरी पर लाने के लिए घरों से निकलना जरूरी है, पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन्हें घर से निकलने की आवश्यकता नहीं है, वे इसका पालन करते रहें। घर के बुजुर्ग और बच्चों को ज्यादा से ज्यादा संभाल कर रखें और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक घरेलू उपचारों का पालन करते रहें। इससे संक्रमण का चेन टूटेगा और कोरोना की जंग में जीत हासिल होगी।
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