रायपुर। कोरोना की वजह से प्रदेश में संक्रमित होने की वजह से कुछ लोगों की मौत हो रही है, मगर उससे ज्यादा संख्या मेंं लोग कोरोना के डर की वजह से आने वाले तनाव के कारण जान गंवा रहे हैं। वर्तमान में कोरोना का खौफ इतना बढ़ गया है कि लोग रूटीन जांच के लिए भी अस्पताल जाने से घबरा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमित हो जाने के डर की वजह लोग रूटीन चेकअप के लिए भी नहीं जा रहे हैं।
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पिछले छह माह से प्रदेश का समूचा स्वास्थ्य अमला केवल कोरोना की रोकथाम में डटा हुआ है और इसके चक्कर में दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए सिस्टम फेल साबित होने लगा है। इसके साथ ही वर्तमान में कोरोना की बढ़ती संख्या के वजह से इसका इतना अधिक डर फैल गया है कि लोग भारी तनाव में आ चुके हैं और इलाज के दबाव में दम तोड़ रहे हैं। वर्तमान में निजी अस्पतालों में केवल इमरजेंसी को प्राथमिकता दी जा रहा है और सरकारी
अस्पतालों में तो नाॅन कोविड मरीजों का इलाज ना के बराबर हो गया है। गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों को भी इलाज के पहले कोविड की जांच कराना आवश्यक हो गया है और संक्रमण की पुष्टि होने तथा गंभीर बीमारी से जूझने के बाद भी उन्हें कोरोना का इलाज कराना जरूरी होता है। दूसरी बीमारी ऐसे मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। इतना ही नहीं, कई तरह की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज रूटीन जांच के लिए भी अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं और अपनी परेशानी की वजह से तनाव झेलते हुए जान गंवा रहे हैं। वर्तमान में कोविड की वजह से होने वाली मौतों के साथ नॉन कोविड लोगों की भी बड़ी संख्या में मौत हो रही है और शहर के श्मशानघाटों में अंतिम संस्कार कराने वालों की भीड़ बढ़ गई है। लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है।
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आंकड़े नहीं
स्वास्थ्य विभाग वर्तमान में कोविड की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा तो संग्रहित कर रहा है, मगर नॉन कोविड मरीजों की मौत की जानकारी एकत्रित नहीं कर रहा है। बीते छह माह में भले ही कोरोना और कोरोना संक्रमित होने के साथ ही गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों की अस्पताल में साढ़े छह सौ के करीब मौतें हुई हैं, लेकिन नॉन कोविड मरीजों की मौतों की संख्या इसकी तुलना में पांच से छह गुना अधिक हो चुकी है।
इमरजेंसी में सिमटा आपरेशन
सामान्य दिनों में चार बड़े अस्पतालों में छोटी-बड़ी सर्जरी मिलाकर ढाई से तीन हजार सर्जरी होती थी, मगर वर्तमान में इनकी संख्या पांच सौ तक नहीं पहुंच पा रही है। अस्पताल केवल इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का ही इलाज और सर्जरी कर रहे हैं। पूर्व नियोजित आपरेशन पिछले छह माह से नहीं हो रहे। प्री-प्लान सर्जरी की आवश्यकता वाले मरीजों का मर्ज धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है और इसका तनाव जानलेवा साबित हो रहा है।
अस्पताल जाने से कतरा रहे
लोगों के मन में कोरोना का डर बैठ गया है, जिसकी वजह से वे अस्पताल जाने में कतरा रहे हैं। इलाज में होने वाली देर भी मौत का एक कारण हो सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा
तनाव जानलेवा, कोविड के डर की वजह से लोग अस्पताल नहीं आना चाह रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी बीमारी बढ़ रही है और वे तनाव में आ रहे हैं। ऐसे में दोहरा दबाव जानलेवा साबित हो रहा है।
– डा. मनोज साहू, एचओडी मनोरोग विभाग, आंबेडकर अस्पताल।
रूटीन जांच जरूरी
सही समय पर रूटीन जांच नहीं होने की वजह सामान्य बीमारी भी गंभीर हो जाती है। सही समय पर बीमारी की पहचान नहीं होना घातक है।
– डा. राकेश गुप्ता, वरिष्ठ चिकित्सक, आईएमए