नई दिल्ली। भारत में कोरोना के अब तक 56 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं। 90 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा कोरोना केस भारत में ही हैं। लेकिन, इस सबके बावजूद एक सुखद बात है कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या भारत में ही है। देश में कोरोना के 80% से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। यही नहीं, देश में मृत्यु दर भी लगातार घट रही है।
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भारत में मृत्यु दर इतनी कम क्यों है? रिकवरी रेट सबसे ज्यादा क्यों है? इन्हीं बातों का पता लगाने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और उनकी टीम लंबे समय से रिसर्च कर रही थी। अब उसके नतीजे आ गए हैं। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। प्रोफेसर चौबे कहते हैं कि इस रिसर्च से यह बात साफ हो चुकी है कि भारत में लोगों की सेल्फ इम्युनिटी से कोरोना हार रहा है।
रिसर्च में क्या पता चला है?
बीएचयू में जन्तु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने इस अध्ययन के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों के इंसानों के जीनोम को कलेक्ट किया। इसमें उन्होंने पाया कि भारत में हर्ड इम्युनिटी से ज्यादा कोरोना प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही लोगों के जीन में मौजूद है। यह क्षमता लोगों के शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन एसीई-2 रिसेप्टर (गेटवे) से मिलती है।
इसी वजह से जीन पर चल रहे म्यूटेशन कोरोनावायरस को कोशिका में प्रवेश से रोक देते हैं। इस म्यूटेशन का नाम- RS-2285666 है। भारत के लोगों का जीनोम बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यहां लोगों के जीनोम में इतने यूनीक टाइप के म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह से देश में मृत्युदर और रिकवरी रेट सबसे ज्यादा है।
एसीई-2 रिसेप्टर कैसे काम करता है?
कोरोनावायरस सबसे पहले हमारे जीन में मौजूद एसीई-2 रिसेप्टर पर अटैक करता है। 60% भारतीयों में ये जीन बहुत मजबूत है। इसके चलते इसका यहां इतना ज्यादा असर नहीं हो रहा है, जबकि यूरोपीय और अमेरिकी लोगों में ये जीन सिर्फ 7% से 14% ही पाया जाता है। इसके चलते कोरोना का असर पश्चिमी देशों में ज्यादा रहा है। वहां मृत्युदर भी बहुत ज्यादा है।
भारतीय उपमहाद्वीप के लोग ज्यादा मजबूत हैं?
भारतीय उपमहाद्वीप, चीन और साउथ-ईस्ट एशिया के लोगों में देखा गया कि उनके जीनोम गेटवे की संरचना यूरोप और अमेरिका के लोगों से 50% ज्यादा मजबूत है।
दुनिया की तुलना में भारत में रिकवरी रेट क्या है?
- भारत में कोरोना से ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट 80.86% है। हर दिन ये रिकवरी रेट बढ़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत अच्छी स्थिति में है।
- कोरोना संक्रमण के मामले भारत में काफी कम हैं। भारत में दस लाख आबादी में 4,031 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जबकि दुनिया के बाकी देशों में यह कहीं ज्यादा है।
- पेरू में प्रति 10 लाख आबादी पर 22,941 केस, ब्राजील में 21,303 केस, अमेरिका में 20,253, कोलंबिया में 14,749 और स्पेन में 14,749 केस आ रहे हैं। वहीं, दुनिया का कुल औसत 3,965 है।
दुनिया की तुलना में भारत में डेथ रेट क्या है?
- भारत में प्रति दस लाख आबादी में कोरोना से औसतन 64 मौतें हुई हैं। वहीं दुनिया के अन्य देशों जैसे स्पेन में 652, ब्राजील में 642, यूके में 615, यूएस में 598, मेक्सिको में 565, फ्रांस में 477 और कोलंबिया में 469 लोगों की प्रति दस लाख आबादी में मौत हुई है। दुनिया में औसत प्रति 10 लाख आबादी में 123 है।
- दुनिया में संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या का 19.5% मरीज भारत से हैं, जो कि सबसे ज्यादा है। इसके अलावा अब भारत में संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या नए संक्रमित मरीजों के मुकाबले काफी ज्यादा है। भारत में कोरोना के एक्टिव केस सिर्फ 17.54% हैं। वहीं मृत्यु दर भी 1.59% है।