भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। छत्तीसगढ़ में केवल एक सीट पर उपचुनाव होना है, लिहाजा यहां पर सरकार को किसी तरह से प्रभाव नहीं पड़ना है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह उपचुनाव नई सरकार तय करेगा। मप्र में कुल 28 सीट रिक्त हैं, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पूरा दमखम झोंकने की तैयारी में है।
सियासी उलटफेर की वजह से मध्यप्रदेश में सत्ता पर काबिज कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद अल्पमत में आई सरकार गिर गई, जिसके बाद भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा ठोंककर सत्ता पर कब्जा कर लिया। अब उपचुनाव में 28 सीटों पर मतदान होगा, जो यह तय करेगा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार अपना कब्जा बरकरार रख पाएगी, या फिर कांग्रेस मैदान जीतकर सेहरा छिनने में कामयाब होगी।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को 56 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। बिहार की एक लोकसभा सीट और मणिपुर की दो विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, नगालैंड, तेलंगाना और उत्तरप्रदेश की 54 सीटों पर 3 नवंबर को मतदान होगा। 10 नवंबर को नतीजे आएंगे।
54 सीटों पर चुनाव का शेड्यूल
नामांकन भरने करने की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर
नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 19 अक्टूबर
वोटिंग 03 नवंबर
नतीजे 10 नवंबर
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव
मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर चुनाव होना है। मध्यप्रदेश के उपचुनावों में भाजपा अपनी सत्ता बचाने और कांग्रेस नेता कमलनाथ छह महीने पहले खोई सत्ता वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है, क्योंकि जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है।
प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। पहली बार प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं। इसकी वजह प्रदेश में मार्च में हुआ सियासी फेरबदल है। इसी साल 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से 22 सीटें खाली हो गई थीं। इसके बाद जुलाई में बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। फिर मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा पकड़ लिया। इसके अलावा, तीन विधायकों का निधन हो गया। यानी कुल 28 विधानसभा सीटें खाली हो गईं।