अहमदाबाद। देश और दुनिया में कोरोना का कहर लगातार जारी है। भारत में बीते 9 माह के दौरान जहां 62 लाख के ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं, तो करीब 1 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना संक्रमित ज्यादातर लोगों की मौत के पीछे वजह हार्ट अटैक बना है। पर सवाल यह है कि कोरोना संक्रमितों को हार्ट अटैक क्यों आ रहा है, जिसके लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। इस पर अहमदाबाद के सिम्स में पदस्थ डाॅ. अमित पटेल और डाॅ0 सुरभि ने बड़ा खुलासा किया है।
कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनिया भर के देश इस पर रिसर्च कर रहे हैं। भारत में भी इससे जुड़ी कई सारी रिसर्च चल रही हैं। अहमदाबाद स्थित सिम्स अस्पताल के डॉक्टर ने बताया है कि कोरोना वायरस फेफड़ों को कैसे पत्थर बना देता है। दरअसल, अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल में लंबे समय से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए काम करने वाले डॉ. अमित पटेल का कहना है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फेफड़ों पर असर करता है। जब इंफेक्शन बढ़ जाता है तो सॉफ्ट रहने वाले फेफड़े पत्थर की तरह स्ट्रांग हो जाते हैं। डॉक्टर के मुताबिक फाइब्रोसिस तो टीबी और निमोनिया में भी होता है, लेकिन फेफड़े में वह ऊपर और नीचे के भाग में ही होता है। कोरोना में इसका गहन असर दिखाई देता है। पूरे फेफड़े में फाइब्रोसिस हो जाता है, जो फेफड़े को काफी डैमेज कर देते हैं।
सिम्स अस्पताल की ही डॉक्टर सुरभि के मुताबिक रोग प्रतिरोधक शक्ति जब सक्रिय होती है तो पहला प्रभाव फेफड़े पर होता है। वायरस का बुरा प्रभाव तथा टिश्यू रिपेयर करने हेतु प्रतिक्रिया के कारण फेफड़े की महीन नलियों में द्रव्य भर जाता है, जो बाद में जम जाता है. इससे फेफड़ा धीरे-धीरे सख्त होता जाता है। डॉक्टर ने ये भी बताया कि कोरोना के इलाज में कई बार देखा गया है कि जब कोरोना की वजह से ही कई दूसरी बीमारी भी हो जाती है। इसमें हार्टअटैक आना, किडनी पर असर होना, या शरीर के अदर पस होना शामिल है। साथ ही कुछ मरीजों में आंखों की रेटिना में भी फाब्रोसिस देखने को मिले हैं जो शरीर के इन अंगों को बुरी तरह डैमेज कर देता है।