नई दिल्ली। कोरोना काल में आई आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का दौर अब भी जारी है। जिन लोगों ने लोन उठा रखा है, उन्हें इस बात की चिंता खाए जा रही है कि बंद कारोबार के दौरान बिगड़ी आर्थिक स्थिति पर आखिरकार वे लोन की राशि के साथ ब्याज और उस पर ब्याज आखिर कैसे अदा करेंगे। इस पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनाम प्रस्तुत किया है, जिसमें दो करोड़ तक लोन लेने वालों को ब्याज पर ब्याज की संकट से मुक्त कर दिया है। यह उन लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने लोन लेने वाले इंडिविजुअल और एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि वह मोरेटोरियम अवधि के छह महीनों के ब्याज पर ब्याज की माफी को तैयार है। हालांकि, इस ब्याज माफी का लाभ केवल दो करोड़ रुपए तक के लोन पर मिलेगा। इसके अलावा जिन लोगों ने मार्च से अगस्त तक के बकाया का भुगतान कर दिया है, उन्हें भी ब्याज पर ब्याज की माफी का लाभ मिलेगा।
सरकार पर आएगा पूरा बोझ
वित्त मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में कहा गया है कि सरकार छोटे कर्जदारों का साथ निभाने की परंपरा जारी रखेगी। एफिडेविट के मुताबिक, ब्याज पर ब्याज या कंपाउंड इंटरेस्ट की माफी से बैंकों पर पड़ने वाला बोझ सरकार उठाएगी। सरकार ने कहा है कि इसके लिए संसद की मंजूरी ली जाएगी।
ब्याज माफी से 6 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा
वित्त मंत्रालय ने एफिडेविट में कहा है कि यदि सभी प्रकार के लोन की मोरेटोरियम अवधि का ब्याज माफ किया जाता है तो इससे छह लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इससे बैंकों की कुल नेटवर्थ में बड़ी कमी आ जाएगी। मंत्रालय के मुताबिक, यदि किसी इंडीविजुअल का लोन दो करोड़ रुपए से ज्यादा है तो उसे ब्याज पर ब्याज माफी का लाभ नहीं मिलेगा।
क्या है मोरेटोरियम?
जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा की वजह से कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है, तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने छह महीने के मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी तरह के लोन लेने वालों को किश्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।