दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए विरोध-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि विरोध-प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता, जैसा कि शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन निर्धारित जगह या इलाकों में होना चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए शाहीन बाग आंदोलन पर कोर्ट ने यह भी कहा कि शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी। प्राधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर विरोध करने का अधिकार पूर्ण नहीं है और सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के लिए अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस याचिका पर आया है, जब अधिवक्ता अमित साहनी ने फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों द्वार बंद कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को खोलने की की मांग की थी। बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने करीब सौ दिनों तक कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को बंद रखा था, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतें हुईं थीं।