नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे 74 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे।
इस बात की जानकारी चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी है। रामविलास पासवान के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। बिहार समेत देश के कई बड़े नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की है।
रामविलास पासवान के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुःख व्यक्त किया है। दोनों नेताओं ने ट्वीट कर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने भी रामविलास पासवान के निधन पर शोक व्यक्त किया है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
कुछ दिन पहले ही हुई थी हार्ट सर्जरी
रामविलास पासवान पिछले करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हार्ट सर्जरी थी। इससे पहले भी उनकी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग पासवान को फोन कर केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।
1969 में पासवान ने लड़ा था पहला चुनाव
- रामविलास पासवान का जन्म पांच जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था।
- उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एमए और पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया ।
- 1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्यसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप चुने गए थे।
- 1977 में छठी लोकसभा में पासवान जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने गए।
- 1982 में हुए लोकसभा चुनाव में पासवान दूसरी बार जीते।
- 1983 में उन्होंने दलित सेना का गठन किया तथा 1989 में नौवीं लोकसभा में तीसरी बार चुने गए।
- 1996 में दसवीं लोकसभा में वे निर्वाचित हुए।
- 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जन शक्ति पार्टी का गठन किया।
- इसके बाद वह यूपीए सरकार से जुड़ गए और रसायन एवं खाद्य मंत्री और इस्पात मंत्री बने।
- पासवान ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
- बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में भी वे विजयी रहे।
- अगस्त 2010 में बिहार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और कार्मिक तथा पेंशन मामले और ग्रामीण विकास समिति के सदस्य बनाए गए।