रायपुर। देश में कोरोना काल को सही मायने में 10 माह पूरे हो चुके हैं। भले ही पहला मामला फरवरी में सामने आया, देश में लाॅक डाउन मार्च में हुआ और सितंबर तक लाॅक डाउन का दर्द पूरा देश झेलता रहा। इसका स्वाभाविक असर छत्तीसगढ़ में भी पड़ा है। बीते माह राजधानी से लेकर प्रदेश के अन्य जिलों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लाॅक डाउन का निर्णय लिया गया। और सख्ती से उसका पालन भी कराया गया, जिसका राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लोगों ने पूरे संयम से पालन भी किया।
दो राय नहीं कि कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए लाॅक डाउन बेहद आवश्यक था, लेकिन देश को पूरे समय लाॅक डाउन नहीं रखा जा सकता यह भी एक बड़ी सच्चाई है, जिसके चलते अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू हुई और अब पूरा देश अनलाॅक हो चुका है। इस लाॅक डाउन की वजह से देश और प्रदेशों की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है, जिससे उबरने में काफी वक्त लगेगा।
इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवाल पर स्पष्ट कर दिया कि वे लाॅक डाउन के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने माना कि कोरोना संक्रमण से प्रदेश और देश मुक्त नहीं हो पाया है और इसमें अभी वक्त लगना स्वाभाविक है, लेकिन लाॅक डाउन इसका समाधान नहीं है। सीएम बघेल का मानना है कि स्वयं की सुरक्षा ही कोरोना से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। लोगों को इस बात का खास ख्याल रखना होगा, लापरवाही से परहेज करना होगा, तब जाकर प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाया जा सकता है।
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मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि कोरेाना संक्रमण के इस दौर में जो लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, यथासंभव होम आइसोलेशन के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ लें, इसमें सरकार पूरी तरह से मदद कर रही है। पर जो लोग पहले से ही गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और कोरोना की जद में आ गए हैं, वे अस्पताल में उपचार कराएं। सीएम बघेल ने अपनी अपील में कहा है कि घर पर रहने से लोग अवसाद और अकेलेपन से बच सकते हैं, इससे ज्यादा जल्दी तबीयत में सुधार की गुंजाइश रहती है।
बहरहाल कोरोना संक्रमण काल में नियमित मास्क का उपयोग, सेनेटाइजेशन पर ध्यान और साबुन से बार-बार हाथ धोने के साथ ही सोशल डिस्टेंशिंग का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है। कोरोना के चेन को तोड़ने यही कारगर उपाय साबित हो रहा है।