पटना। बिहार में तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी है। बिहार विधानसभा के पहले चरण से लिए प्रचार शुरू हो गया है। चुनाव में किस्मत आजमा रहे सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। पहले फेज के चुनाव के लिए नामांकन का दौर खत्म हो गया। पहले फेज में कुल 71 सीटों पर चुनाव होना है। अब तक कुल 1057 प्रत्याशियों ने नांमांकन कर दिया है। ऐसे में इन कैंडिडेट्स ने अपने संपत्ति का भी ब्यौरा दिया है, जिनमें सबसे अमीर जेडीयू की मनोरमा देवी हैं, जो 89.7 करोड़ रूपए के प्रॉपर्टी की मालकिन हैं। बता दें कि साल 2015 में मनोरमा देवी जब विधान परिषद का चुनाव लड़ रही थीं, तब उन्होंने अपने एफिडेविट में 12.24 करोड़ रुपए संपत्ति बताई थी। मनोरमा देवी ने अपने हलफनामें में 89.77 करोड़ रुपए संपत्ति बताई है। उनके पास 44.77 करोड़ रुपए के मूवेबल और 45 करोड़ के नॉन-मूवेबल असेट्स हैं। मनोरमा के पास दिल्ली और आसपास के इलाके में मॉल, होटल और कई पेट्रोल पंप हैं। बता दें कि मनोरमा जेल भी जा चुकी हैं। दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है कि साल 2016 में उनके घर से शराब पकड़ी गई थी, जबकि बिहार में शराब पर बैन है। बाद में उन्होंने सरेंडर कर दिया था। जिसके बाद वो जेल भी गई थीं।
कौन हैं मनोरमा देवी ?
मनोरमा यादव का जन्म 1970 में हुआ था। इनके पिता का नाम हजारा सिंह और मां का नाम कबूतरी देवी है। मनोरमा के पिता एक ट्रक ड्राइवर थे वहीं उनकी मां खाने ढ़ाबा चलाती थी। मनोरमा ने गर्ल्स हाईस्कूल बाराचट्टी से मैट्रिक और सोभ कॉलेज से इंटर का एग्जाम पास किया। मनोरमा देवी की पहचान दबंग नेता के तौर पर होती है। उनके पति बिंदेश्वरी यादव किसी जमाने में बाहुबली नेता हुआ करते थे। बिंदेश्वरी लालू यादव के करीबियों में से एक थे। इसी साल कोरोनावायरस से बिंदेश्वरी की मौत हो गई।
कैसे हुई बिंदी यादव से शादी ?
बताया जाता है कि बिंदी यादव की पहली मुलाकात उनके ढाबे पर हुई थी। बिंदी यादव पर पहला केस चोरी का केस दर्ज हुआ था। उस जमाने में उतना कुख्यात नहीं था। लेकिन छोटी-मोटी ठेकेदारी करता था और उसका भी अक्सर उस ढाबे पर आना-जाना होता था। उसी दौरान उसने मनोरमा यादव से 1989 में देवघर में शादी कर ली। बिंदी यादव की यह दूसरी शादी थी, हालांकि मनोरमा इसके लिए तैयार नहीं थी। कहा जाता है कि बिंदी यादव ने जबरन मनोरमा से शादी की, हालांकि इसकी पुष्टि बहुत कम लोग करते हैं।
कैसे हुई राजनीति में एंट्री ?
मनोरमा के परिवारिक राजनीति की कहानी यह है कि उनके पति बिंदी पहली बार 2001 में जिला परिषद का अध्यक्ष बना, तो मनोरमा यादव इसी साल में मोहनपुर ब्लॉक की प्रमुख बनी। ब्लॉक प्रमुख रहते ही मनोरमा ने आरजेडी के टिकट पर एमएलसी का चुनाव लड़ा। वे साल 2003 से साल 2009 तक मनोरमा यादव आरजेडी की टिकट पर एमएलसी रहीं। बिंदी यादव ने दो बार विधान सभा चुनाव लड़ चुकी हैं। साल 2005 में पहली बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके बाद साल 2010 में आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन दोनों ही बार उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। दोनों बार उसे हार का सामना करना पड़ा। हालांकि बाद में वे जेड़ीयू में शामिल हो गई और पार्टी के टिकट पर एमएलसी का चुनाव जीतने में सफल रही हैं।