ब्रिसबेन। विगत 10 माह से ना केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस का दंश झेल रही है। महामारी घोषित हो चुके इस कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया में अब तक 10 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत हो चुकी है। इस बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक इस वायरस से निजात पाने लगातार रिसर्च कर रहे हैं, तो कई तरह के खुलासे भी होते जा रहे हैं। दुनिया में भले ही इसका वैक्सीन नहीं आया है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने कई कारगर उपाय हो रहे हैं। इस बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है कि मानव शरीर से कहीं ज्यादा कोविड-19 के वायरस मोबाइल स्क्रीन और प्लास्टिक करंसी पर जीवित रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में कोविड-19 के अब तक 3.71 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं और 10 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। भारत में कोरोना के अब तक 70 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं जबकि 60 लाख से ज्यादा मरीज वायरस को मात देने में कामयाब हुए हैं। इस बीच, एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोनावायरस बैंक नोट और मोबाइल फोन जैसे उत्पादों पर ठंडे और डार्क परिस्थितियों में 28 दिन तक जीवित रह सकता है। ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय साइंस एजेंसी ने यह बात कही।
एजेंसी ने सोमवार को कहा कि सीएसआईआरओ के डिसीज प्रीपेडनेस सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस बात का परीक्षण किया कि गर्म परिस्थितियों में वायरस की जीवित रहने की दर कम हो जाती है। वहीं वैज्ञानिकों ने पाया कि अंधेरे और 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर वायरस मोबाइल फोन की स्क्रीन, स्टील और प्लास्टिक के बैंक नोट पर तेजी से फैलता है और 28 दिनों तक जीवित रह सकता है। 30 डिग्री तापमान पर वायरस के जीवित रहने की संभावना घटकर सात दिन पर आ गई, जबकि 40 डिग्री पर वायरस सिर्फ 24 घंटे तक ही जीवित रह सकता है।
सर्वाधिक समय बीतता है मोबाइल पर
आज डिजिटलाइजेशन के दौर में लोगों का ज्यादातर समय मोबाइल पर बीत रहा है। बात बच्चों की पढ़ाई की हो, या फिर काम काज की, तमाम चीजें मोबाइल आधारित हो चुकी हैं। आमतौर पर खरीदी-बिक्री का जरिया भी मोबाइल ही बन गया है। लोग हर समय आॅनलाइन बने रहना चाहते हैं, ताकि सोशलिज्म में बने रह सकें। वहीं लोग नोट से खरीदी करने के बजाय प्लास्टिक करंसी यानी कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को ज्यादा सुविधाजनक मानने लगे हैं। यही दोनों चीजें ऐसी हैं, जिनमें वायरस 28 दिनों तक ठहरता है, जैसा कि शोध में पाया गया है।
दूसरों के हाथों में देने से बचें
इस शोध के खुलासे का तात्पर्य यह है कि कोरोना संक्रमण काल में अपने मोबाइल, कैश कार्ड और स्वयं से संबंधित जरूरी वस्तुओं को दूसरे के हाथों में जाने से बचाने का प्रयास करें। इसके अलावा सेनेटाइजेशन का पूरा ख्याल रखें ताकि वायरस को आपके पास ठहरने का मौका ना मिले। अन्यथा इसके नुकसान से आज की तारीख में हर कोई भलीभांति परिचित है।