नागेंद्र निषाद की रिपोर्ट
राजिम। मन में कुछ करने की जिद हो, लगन हो और इच्छाशक्ति मजबूत हो तो, इस दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं, जो मुमकिन नहीं हो सकता। ऐसी एक मिसाल छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत भेंडरी में देखने को मिला है। इस गांव के स्कूली बच्चों को हर दिन शिक्षा मिल रही है, जबकि ना तो यहां पर लोगों के पास स्मार्टफोन है और ना ही इंटरनेट की सुविधा, उस पर जबकि कोरोना की वजह से सरकार ने स्कूलों को बंद रखे जाने का आदेश दिया है।
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अनलाॅक 5 में स्कूलों को खोलने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दे दिया है, पर प्रदेश में हालात को देखते हुए भूपेश सरकार ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखकर फिलहाल स्कूल नहीं खोलने के निर्देश दिए हैं, लेकिन आॅनलाइन पढ़ाई की अनुमति दी गई है। किन्तु आॅनलाइन शिक्षा के लिए जरूरी है कि घर पर स्मार्टफोन हो और बकायदा इंटरनेट की सुविधा हो, जो भेंडरी गांव के रहवासियों के पास नहीं है। कुछ के पास सुविधा है भी, तो नेटवर्क के चलते अनुपयोगी साबित होता है।
ऐसे आया मन में ख्याल
स्कूल बंद होने की वजह से गाँव के बच्चे दिन भर खेलकूद कर अपना समय व्यतीत कर रहे थे, जिसकी वजह से पालकों के साथ-साथ ग्राम पंचायत भी बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित था। शासन की ऑनलाइन योजना गाँव में संचालित नहीं हो पाने से जिले के शिक्षा विभाग के लिए भी एक चुनौती से कम नहीं था। आखिरकार शिक्षा विभाग ने ग्राम पंचायत और ग्रामवासियों से आपसी चर्चा कर गाँव में ऑफलाइन क्लास संचालित करने की योजना बनाई।
समस्या तो यह भी थी
कोरोना काल में संक्रमण का खतरा बरकरार है, लेकिन थोड़ी से समझदारी और आपसी समन्वय से इस योजना को वास्तविक धरातल पर उतार लिया गया । योजना के अनुसार 10 अगस्त से गाँव में ‘पढ़ाई तुंहर पारा’ योजना के नाम से ऑफलाइन क्लास का संचालन शुरू हो गया। योजना में गाँव के 9 स्थानों पर ऑफलाइन क्लास संचालित की जा रही है, जिसमें पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं संचालित हैं। इन कक्षाओं में पहली से पांचवीं तक 204 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
शिक्षित बेरोजगारों ने उठाया बीड़ा
बच्चों को पढ़ाने के लिए ग्राम के ही 17 योग्य और शिक्षित बेरोजगार युवा खुद चलकर आगे आये। बड़ी बात यह है कि इनमें ग्राम की 4 शिक्षित बहुएं भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने परिवार की सहमति से बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया। ऑफलाइन क्लास संचालित करने के लिए ग्राम के विभिन्न समाजों द्वारा सहयोग प्रदान करते हुए अपने-अपने सामुदायिक भवनों को कक्षा के रूप में संचालित करने के लिए प्रदान किया गया है। इसके अलावा मन्दिर परिसर और पेड़ के नीचे भी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
सुरक्षा का रख रहे पूरा ख्याल
इन ऑफलाइन कक्षाओं में सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। कक्षा शुरू करने से पहले अच्छी तरह से पहले सेनेटाइज किया जाता है, इसके बाद प्रत्येक बच्चे का हस्त प्रक्षालन और सेनेटाइजेशन होता है। सभी बच्चे मास्क का उपयोग कर रहे हैं, इस पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। वहीं बच्चों के बीच दो गज की दूरी का भी ख्याल रखा जा रहा है।
पूरा गांव हुआ समर्पित
इस बेहतर कार्य के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत थी, जिसके लिए पूरा गांव सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुए समर्पित हो गया है। पालकों, पंचायत पदाधिकारियों और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार लोगों द्वारा समय-समय इन कक्षाओं की निगरानी करते रहते हैं। इन कक्षाओं का संचालन इतने सुचारू और सुरक्षात्मक रूप से किया जा रहा है कि 10 दिन के भीतर ही इसकी जानकारी स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. आलोक शुक्ला तक जा पहुंची और वे इस ऑफलाइन क्लासेज का निरीक्षण करने भी पहुंचे थे।