नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले में जिला जज की कोर्ट ने आज शुक्रवार को श्रीकृष्ण विराजमान समेत 8 याचिकाकर्ताओं की अर्जी को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. साथ ही मथुरा कोर्ट ने पक्षकारों को भी नोटिस जारी किया है. पहले इस याचिका को सिविल कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले में मथुरा कोर्ट की ओर से जिन लोगों को नोटिस दिया गया है उसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड और ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट भी शामिल है.
सिविल कोर्ट के फैसले को चुनौती
याचिकाकर्ताओं ने 12 अक्टूबर को मथुरा जिला कोर्ट में याचिका दायर की थी और इस याचिका में सिविल कोर्ट के याचिका स्वीकार नहीं किए जाने के आदेश को चुनौती दी है.
इससे पहले सिविल कोर्ट के जज ने भगवान की तरफ से एक वकील के याचिका करने को मंजूरी नहीं देते हुए सुनवाई करने से इंकार कर दिया था. जज ने अपने फैसले में कहा था कि विश्व में भगवान कृष्ण के असंख्य भक्त हैं. हर श्रद्धालु याचिका करने लगे तो न्याय व्यवस्था चरमरा जाएगी.
इससे पहले मथुरा की एक अदालत ने पिछले महीने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह को हटाने की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में पहुंचकर वादी पक्ष के विष्णु जैन, हरिशंकर जैन और रंजन अग्निहोत्री ने अपना पक्ष रखा लेकिन कोर्ट ने इसे याचिका को खारिज कर दिया.
मालिकाना हक की मांग
मथुरा की कोर्ट में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया था. साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाने की अपील की गई है. इससे पहले 28 सितंबर को हुई संक्षिप्त सुनवाई में एडीजी छाया शर्मा ने मामले को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था.
इस याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत करार दिया गया. इस याचिका के माध्यम से कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व मांगा गया है. याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप दिया गया. अब श्रीकृष्ण की मुख्य जन्मभूमि तथा इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में जो लिखा है, उसके नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल में डाला गया है.