नई दिल्ली । दिल्ली की एक कोर्ट ने तीन आरोपियों की जमानत याचिका को अपराध की गंभीरता को देखते हुए खारिज कर दिया है। इन लोगों पर दिल्ली दंगे में कई गंभीर आरोप लगे हैं। फरवरी, 2020 में उत्तर पूर्व जिले में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन बाद में दंगे में तब्दील हो गई थी।
इसी मामले में एडिशनल जज विनोद यादव ने गुलफाम, रियासत अली और ईशाद अहमद की जमानत याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए यह खारिज की जा रही है क्योंकि यह सभी उसी एरिया में रहते हैं जहां दंगा हुआ था। बेल मिलते ही यह गवाह और तथ्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसलिए मैं जमानत पर उपरोक्त आवेदकों को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं। इसके बाद सभी आवेदन खारिज कर दिए गए।
इधर, आवेदकों के लिए यह तर्क दिया गया कि उन्हें जांच एजेंसी द्वारा गलत और दुर्भावनापूर्ण तरीके से फंसाया गया है। मामले की जांच निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से नहीं की गई है। इसके साथ ही किसी विशेष समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को जांच एजेंसी द्वारा गलत तरीके से पकड़ा गया है।
वहीं, राज्य के लिए विशेष लोक अभियोजक वकील मनोज चौधरी ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से चांद बाग और बृजपुरी पुलिया के पीएस दयालपुर के इलाके में विरोध प्रदर्शन चल रहा था। बता दें कि 23 फरवरी, 2020 को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और शिव बाग तिराहा, मूंगा नगर सहित शेरपुर चौक तक वजीराबाद रोड और करावल नगर रोड पर फैल गया था।