भिलाई। देश के दुश्मनों के खिलाफ सरहद पर जान की बाजी लगाने वाले सैनिकों को छत्तीसगढ़ के भिलाई से नायाब तोहफा मिलने जा रहा है। सेना के वीर सिपाहियों को दुश्मनों की गोलियों से महफूज रखने के लिए अब तक जिस 17 किलो वजनी बुलेट प्रूफ जैकेट को उपयोग में लाया जाता था, भिलाई में उसका विकल्प तैयार हो गया है और डीआरडीओ ने आपूर्ति के लिए अनुमति भी दे दी है।
दरअसल, देश के लिए सबसे मजबूत लोहा बनाने वाला भिलाई जल्द ही सैनिकों के उपयोग में आने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्माण शुरू करने जा रहा है। यहां की एक निजी कंपनी देश का सबसे हल्का बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने जा रही है। भारत सरकार और कंपनी के बीच इस संबंध में अनुबंध हो गया है। सेना में वर्तमान में उपयोग की जा रही जैकेट 17 किलो वजनी है, जबकि भिलाई में बनने जा रही जैकेट 11 किलो की होगी। यह गुणवत्ता में बेहतर और 40 फीसद कम कीमत की होगी। इसका निर्माण शुरू होने से करीब 200 युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा इसमें लगने वाले सामान के निर्माण के लिए एंसीलरी लगाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। भारत सरकार और सेना के विशेषज्ञ अफसर इसके निर्माण पर नजर रखेंगे।
अपेक्षाकृत ज्यादा मजबूत
भिलाई में बनाए जाने वाले बुलेट प्रूफ जैकेट में सिलिकान कार्बाइड का उपयोग किया जाएगा। यह स्टील से हल्का और उससे कई गुना अधिक मजबूत होता है। इसके उपयोग से सैनिकों के लिए जोखिम और कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, सरकार वर्तमान में जो जैकेट 32 से 40 हजार रुपये तक में खरीदती है, भिलाई में बनने वाला जैकेट इससे करीब 40 फीसद कम कीमत वाला होगा। यह जैकेट भारत सरकार की अनुमति के बगैर किसी को नहीं दिया जा सकेगा।