नई दिल्ली। जंगलराज, विकास, रोजगार और चेहरे के मुद्दे पर बिहार में चल रही तेज बहस के बीच शुक्रवार का दिन अहम हो सकता है। दरअसल, इस चुनाव में यह पहला मौका होगा जब राजग के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोनों ही बिहार में होंगे। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि शुक्रवार के बाद मुद्दे कितने बदलते हैं। जाहिर तौर पर महागठबंधन में यह बेचैनी भी होगी कि कहीं ‘चर्चा का चेहरा’ न बदल जाए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही चुनाव अभियान का रोचक बिंदु हो सकता है। मोदी सामान्यतया विकास के साथ साथ राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात करते हैं। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और तेज तर्रार चुनावी रणनीतिकार हैं। अगर राहुल गांधी फिसले और चाहे अनचाहे चुनावी चर्चा को मोदी पर मोड़ दिया तो महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकती है। हालांकि राहुल की स्वाभाविक आक्रामकता को देखते हुए इससे इनकार करना भी मुश्किल है कि राहुल का भाषण नीतीश सरकार से ज्यादा मोदी सरकार पर केंद्रित हो।
महागठबंधन के लिए डर यह है कि कहीं चेहरा ही मोदी न बन जाएं। ध्यान रहे कि मोदी बिहार में लगभग एक दर्जन रैलियां करने वालें है और इसमें जदयू की सीटें भी शामिल होंगी। जबकि राहुल गांधी लगभग आधा दर्जन सभाएं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की कई सभाएं नीतीश कुमार के साथ होंगी। जबकि राहुल और तेजस्वी की संयुक्त सभाओं को लेकर अब तक स्पष्टता नहीं है।