रायपुर। केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य सरकार को सात हजार करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था। इन कार्यों के आवंटन की प्रक्रिया में राज्य के पीएचई महकमे की धांधली सामने आई है। राज्य के एक-एक जिले में छोटे-छोटे कामों का समूह बनाकर बाहरी निर्माण एजेंसियों को अरबों रुपए का काम आवंटित कर दिया गया है, वहीं राज्य के ठेकेदारों को इस पूरे प्रोजेक्ट से अलग-थलग रखा गया। जिसकी शिकायत स्थानीय ठेकेदारों ने भूपेश सरकार से की थी। इस मामले को सीएम भूपेश ने गंभीरता से लिया और जांच के आदेश जारी करते हुए तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। जांच के आदेश के बाद पीएचई में खलबली मची हुई है।
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ऐसा है पूरा मामला
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना के तहत राज्य को सात हजार करोड़ रुपए का फंड मिला है। राज्य के पीएचई महकमे को मिले करोड़ों रुपए के फंड के बाद अफसरों ने बाहरी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा ताना-बाना बुना कि राज्य के ठेकेदार मापदंड से पूरी तरह बाहर हो गए। सूत्रों ने बताया कि राज्य में करीब 1200 ठेकेदारों ने जल जीवन मिशन के तहत काम लेने के लिए अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था।
लोकल ठेकेदारों को उम्मीद थी कि उन्हें इस योजना में काम मिल ही जाएगा, लेकिन पीएचई महकमे द्वारा सात हजार करोड़ की कुल राशि में से लोकल ठेकेदारों को सिर्फ 25 फीसदी राशि के ही काम आवंटित किए गए। मापदंड के कारण 75 फीसदी फंड के काम बाहरी राज्यों के करीब 20 ठेकेदारों को दिए गए हैं। पीएचई द्वारा पिछले हफ्ते ही काम आवंटित किए गए थे। इस सूची के जारी होने के बाद लोकल ठेकेदारों के होश उड़ गए और उन्होंने सीएम हाउस में इसकी शिकायत की। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मामले में जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं।