वाशिंगटन। राष्ट्रपति चुनाव से एक सप्ताह पहले अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के भारत आकर अपने समकक्ष मंत्रियों से टू-प्लस-टू बातचीत के दूरगामी परिणाम होंगे। इस वार्ता से अमेरिका चीन को कड़ा संदेश देना चाहता है। माना जा रहा है कि ये बातचीत अमेरिका की सामरिक नीति को आगे बढ़ाने के साथ ही अमेरिकी मतदाताओं पर भी अच्छा प्रभाव डालेगी।
वार्ता में प्रमुख रूप से चीन के आक्रामक रुख पर ही बात होगी। इसके साथ व्यापार, ताइवान, तिब्बत, हांगकांग और मानवाधिकार पर भी बात हो सकती है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार भारत-अमेरिका की इस बातचीत के राजनीतिक संदर्भ भी तलाशे जा रहे हैं। चीन के मामले में प्रतिद्वंदी जो बिडेन की कमजोर स्थिति के कारण इस यात्रा से भारतीय मतदाताओं पर ट्रंप का अच्छा प्रभाव पड़ने की संभावना है।