धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि के समापन पश्चात दशहरे का पर्व उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक शारदीय नवरात्र के दौरान माता शक्ति ने महिषासुर का मर्दन किया और भगवान राम ने शक्ति पूजा के फलस्वरूप परम शक्तिशाली और प्रकांड विद्वान राक्षस रावण का वधकर धरती को उसके अत्याचार से मुक्त किया था। लंकाधिपति रावण का राज दक्षिण दिशा में था, जिसे सोने की लंका कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण को अपने अंतिम समय का पूर्वानुमान हो चुका था, इसलिए उसने अपने अहंकार का त्याग नहीं किया, किन्तु मृत्यु पूर्व रावण ने भगवान राम के श्रीचरणों में शरण मांगकर, अपने अत्याचार की आहूति दे दी। परम ज्ञानी रावण ने भगवान राम से जब प्रार्थना की, तो प्रभु श्रीराम ने भी उन्हें मोक्ष प्रदान कर दिया।
यही वजह है कि आज भी गृह क्लेष, घरेलू विवाद, घर में बुरी नजर, रोग, कलह के निवारण के लिए दशहरे के दिन घर के दक्षिण हिस्से में चौमुखा दीपक जलाने की सलाह दी जाती है। इससे घर के भीतर के सारे अनिष्टों की समाप्ति हो जाती है और परिवार में सुख का वातावरण निर्मित होने लगता है। यह सब रावण को इस खास दिन पर भगवान श्रीराम के मोक्ष प्रदान करने की वजह से माना जाता है।