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EXCLUSIVE : दो भाइयों के बीच राजनीति ने खींची बँटवारे की लकीर… रावण राजिम, तो कुंभकरण बिंद्रानवागढ विधानसभा में आते है… 51 साल पहले आज ही के दिन बनाई गयी थी ये भव्य प्रतिमाएं….

Umesh
Last updated: 2020/10/26 at 2:13 PM
Umesh
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3 Min Read
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गरियाबंद।  पहाड़ों और घने जंगलो से भरा यह क्षेत्र नैसर्गिकता से परीपूर्ण है।   साथ ही इंद्र देव ने अपनी विशेष दृष्टि से चारों ओर नदियों और नालों से घेरा है जो इस क्षेत्र के लिए जीवन दैनिय है. 

कुछ धुंधला- धुंधला सा गरियाबंद का इतिहास कभी यह क्षेत्र घंघोर जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ करता था उस समय गरियाबंद को गिरीबंद भी कहा जाता था, 1947 में गरियाबंद नगर में स्वर्गीय डॉक्टर निरंजन सिंह से कुकरेजा का वास हुआ करता था उस समय गरियाबंद नगर में सिर्फ़ दो ही मोहल्ले हुआ करते थे।  एक था पुराना मंगल बाज़ार और दूसरा अंबेडकर चौक।

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उस समय यह छेत्र सी पी बरार के आधीन था डॉक्टर निरंजन 14 विभूतियों में दूसरे नम्बर पर गिने जाते थे उनके बाद उनके वारिस डॉक्टर गुरमुख सिंह कुकरेजा ने परिवार की कमान संभाली जिनकी ख्याति दूर दूर तक मशहूर थी जो एक समाज सेवक के साथ ही डॉक्टर भी थे जिन्हें गरीबो के मशीहा के तौर पर जाने व पहचाने जाते थे साथ ही आदिवासी इलाक़ों में गाँव गाँव जा कर वह लोगों का इलाज भी किया करते डॉक्टर सहाब सबसे लंबे अवधी तक लगतार 35 वर्षों तक गरियाबंद के सरपंच भी रहे.

उन्ही के ही कार्यकल में यह दो भव्य प्रतिमाए 1969 में आज ही के दिन स्थापित की गयी थी गरियाबंद का स्वर्णिम इतिहास इस बात का गवाह है की गरियाबंद ही ऐसी जगह थी जहाँ तीर से नहि बंदूक़ से रावण का दहन किया जाता था यह परंपरा।

वर्षों तक गरियाबंद में क़ायम रही 1-10-1992 में डॉक्टर सहाब के निधन के बाद भी उनके पुत्रों ने इस परंपरा को आगे बनाए रखा पर कुछ दशक पूर्व ही आधुनिकता के दौर में विकास के साथ यह परंपरा समाप्त हो गई आज गरियाबंद ज़िला बन चूका है जिसका मुख्यालय गरियाबंद को ही बनाया गया है विकास अपने चरम पर है शहर के बीच से एन एच 130 गुजरती है चारों ओर बड़े बड़े पुल पुलियों का निर्माण हो चुका है आवागमन आसान हो गया है एक दौर था कि गरियाबंद पहुचने के लिए छोटा सा मार्ग हुआ करता और नदियों को नौकाओ से पार कर गरियाबंद पहुँचा जाता था आज गरियाबंद विकास की ओर अग्रसर है आज भी यह रावण और कुंभकरण की प्रतिमाए उसी शानो शौक़त से खड़ी है.

वर्षों बाद इस रावणभाटा की साज सज्जा और तैयारीया नगर पालिका अध्यक्ष गफ़्फ़ु मेमन के नेतृत्व में की जा रही है.  वर्षों पूर्व जब यह प्रतिमा बनाई गई होगी तब सी भव्यता आज देखने को मिल रही है नगर अध्यक्ष गफ़्फ़ु मेमन ने अपने स्वर्णिम इतिहास को दोहराते हुए इसे भव्य रूप दिया है।

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