डेस्क। जोगी कांग्रेस के विधायकों को लेकर पिछले दो दिनों से चल रही सियासत के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज साफ कर दिया कि जोगी कांग्रेस के विधायक कांग्रेस में आना चाहते हैं लेकिन वे दलबदल नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त विधायक हैं इसलिए हम जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहते। वे आना चाहते हैं लेकिन इस पर हाईकमान को ही फैसला करना है। क्या स्थिति बनेगी क्या नहीं यह बाद में पता चलेगा।
पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने भी कहा कि विधायकों के प्रवेश के संबंध में गुण दोष के आधार पर पार्टी नेतृत्व फैसला करेगा। दूसरी तरफ, देवव्रत सिंह ने दो टूक शब्दों में स्वीकार किया कि उनको कांग्रेस में ही अपना भविष्य दिखता है और वे उचित समय आने पर इस पर कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में दो ही पार्टी कांग्रेस और भाजपा का भविष्य है। कांग्रेस हमारे खून में है। कांग्रेस से ही तीन बार विधायक और एक बार सांसद बना। भावनात्मक रूप से कांग्रेसी हैं लेकिन संवैधानिक रूप से जोगी कांग्रेस के विधायक हैं इसलिए अभी हम पार्टी में बने रहेंगे।
यदि चार में से तीन विधायक कांग्रेस में शामिल होने पर सहमत होते हैं और कांग्रेस इस पर सहमति देती है तो हम कांग्रेस पार्टी में जाएंगे। देवव्रत ने कहा कि जोगी कांग्रेस के कांग्रेस में विलय की बात पिछले डेढ़ साल से चल रही है। स्व. अजीत जोगी जब कोमा में थे तब जोगी परिवार ने दस जनपथ में ये प्रस्ताव भेजा था कि जोगी की अंतिम इच्छा को देखते हुए जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय कर दिया जाए।
रेणु जोगी खुद अहमद पटेल और वीएल राजू से मिल कर आई थीं। इस संबंध में धर्मजीत सिंह ने कहा कि देवव्रत और प्रमोद कांग्रेस में जाना चाहते हैं। वे दोनों कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव के साथ मुझसे चर्चा करने आए थे लेकिन मैंने उनके प्रस्ताव को नकार दिया है। मैंने उनसे कहा कि दलबदल कानून से बचने के लिए पार्टी के तीन विधायकों को पार्टी छोड़ना हो। आप रेणु जोगी से चर्चा कर लो। यदि वे जाना चाहें तो फिर आप तीनों कांग्रेस में जा सकते हैं। मैं किसी भी हाल में कांग्रेस में शामिल नहीं होउंगा।