रायपुर। राजधानी रायपुर शहर हर वक्त बदल रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य को इस शहर से पहचाना जाता है। तस्वीरों के साथ जानिए कैसे 20 सालों राज्य के साथ यह शहर भी खुद को तेजी से आगे ले जा रहा है। बदलाव और विकास की तेज रफ्तार की वजह से ही रायपुर में रहने वाले लोग अपने शहर के लिए गर्व से कहते दिख जाते हैं “मोर रायपुर” (मेरा रायपुर)।
मध्यप्रदेश के जमाने से खड़ा घड़ी चौक बदल गया
दुनिया के किसी कोने पर अगर कोई शख्स गूगल पर रायपुर सर्च करता है तो घड़ी चौक की तस्वीर नजर आती है। शहर के लोगो में भी इस मीनार को रखा गया है। 19 दिसंबर 1995 को इसका उद्घाटन मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था। इसके बाद बीच-बीच में इसके रख-रखाव वगैरह के काम होते रहे।
नवंबर 2017 में घड़ी चौक को पूरी तरह से बदल दिया गया। इसके दोनों ओर से गए रास्तों को बंद कर यहां गार्डन और फाउंटेन लगाया गया। तिरंगे के कलर की लाइटिंग की गई। 1.28 करोड़ रुपए के करीब खर्च कर इसे क्लॉक थीम पर सजाया गया है। जानकारों के मुताबिक नगर घड़ी के टावर के निर्माण में करीब 24 लाख रुपए खर्च हुए थे। नगर घड़ी की ऊंचाई 54 फीट है। शुरूआत में यहां कलकत्ता की एंग्लो-स्विस वॉच कंपनी ने घड़ी उपलब्ध करवाई थी। इसी घड़ी की कीमत 1995 में एक लाख रुपए थी। तब से इसे ही मेंटेन किया जा रहा है।
रायपुर का रेलवे स्टेशन, मध्य भारत के आधुनिक स्टेशन में से एक
रायपुर का रेलवे स्टेशन पहले सबसे भीड़ भरा इलाका हुआ करता था। मगर राजधानी बनने के बाद जिला प्रशासन ने इस जरूरत को महसूस किया कि इस इलाके में चौड़ी सड़कें और पार्किंग की उचित व्यवस्था हो। इसी वजह से करीब 10 साल पहले रायपुर रेलवे स्टेशन के पूरे परिसर को बदला गया। आज रात के वक्त शहर का रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट की तरह बाहर से नजर आता है। यहां से दुकानों को हटाकर बस टर्मिनल बनाया गया। पार्किंग एरिया को बड़ा किया गया। आरक्षण काउंटर और स्टेशन में ही होटल और शॉपिंग एरिया के साथ फूड जोन तैयार किया गया।
रायपुर के रेलवे स्टेशन का इतिहास 126 साल पुराना है। 1888 में इसे बनाया गया था। मुख्य तौर पर खनिज परिवहन के लिए रायपुर की रेल लाइन का इस्तेमाल होता था। बंगाल और नागपुर रेलवे रायपुर स्टेशन का संचालन करते थे। 70 के दशक में इस रेल लाइन को बिजली से जोड़ा गया। 2003 में बिलासपुर रेल मंडल का हिस्सा रायपुर बना। आज रायपुर का रेलवे स्टेशन देश के उन चुनिंदा स्टेशनों में है, जहां एस्केलेटर, लिफ्ट वगैरह है। 120 के जोड़े में यहां से ट्रेने चलती हैं, जो देश के हर हिस्से में यात्रियों को पहुंचाती हैं।
जब राज्य बना तब सिर्फ दो फ्लाइट थीं रायपुर से, आज हर बड़ा शहर जुड़ा
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब रायपुर एयरपोर्ट के पुराने टर्मिनल से दो उड़ानें ही उपलब्ध थीं। सिर्फ दिल्ली और मुंबई के लिए ही यहां से फ्लाइट मिला करती थीं। सिर्फ चुनावी माहौल में बड़ी हस्तियों की आने की वजह से एयरपोर्ट पर सरगर्मी बढ़ती थी। मगर अब बड़ा बदलाव हो चुका है। कभी सियासी तो कभी फिल्मी हस्तियां इसी एयरपोर्ट से रायपुर आती हैं। चकाचौंध देखकर विदेशी पर्यटक भी हैरान रह जाते हैं। नवंबर 2012 में तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया था।
अब यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, भोपाल, नागपुर, इंदौर, हैदराबाद, प्रयागराज, लखनऊ जैसे शहरों के लिए फ्लाइट्स उपलब्ध हैं। जब राज्य बना तब सिर्फ एयर इंडिया के विमान ही यहां से उड़ान भरते थे। मगर बाद में इंडिगो, जेट, किंगफिशर और विस्तारा जैसी एयरलाइंस के विमानों ने यहां अपनी सेवा देनी शुरू की। अब तैयार हुआ नया एयरपोर्ट भारत का सबसे बड़ी पार्किंग एरिया वाला एयरपोर्ट है, डोमेस्टिक एयरपोर्ट्स में यहां एक वक्त में 350 कारें खड़ी की जा सकती हैं। जनवरी 2020 में यात्री संख्या के मामले में रायपुर का एयरपोर्ट देश के उन चुनिंदा विमान तलों में शामिल हो गया है, जिसमें हवाई यात्रियों की संख्या 21 लाख पार कर गई है।
विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, रायपुर के पास
जब राज्य बना तब से खेलों को लेकर कुछ बड़ा करने की चाहत के साथ शहर हर क्षेत्र में आगे बढ़ता रहा। जब 2007-2008 नया रायपुर के कॉन्सेप्ट पर काम किया जा रहा था। तब इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम अस्तित्व में आया। शहीद वीर नारायण सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में दर्शक क्षमता 65 हजार है। यह भारत में दूसरा तो विश्व में का तीसरा सबसे बड़ा स्टेडियम माना जाता है। 2013 और 2015 में यहां आइपीएल मैच खेला गया। महेंद्र सिंह धोनी ने यहां अपने बल्ले का कमाल दिखाया था।
सिटी के बीचों बीच मैन मेड जंगल
रायपुर के कलेक्टोरेट दफ्तर के पीछे ईएसी कॉलोनी हुआ करती थी। जब से शहर है, तब से यहां यह कॉलोनी थी। करीब 3 साल पहले यहां ऑक्सीजोन बनाने पर काम शुरू हुआ। कॉलोनी को तोड़कर शहर के बीचों-बीच मैन मेड जंगल बनाया गया। करीब 18 एकड़ में बने ऑक्सीजोन में जॉगिंग ट्रैक और चिल्ड्रन पार्क बने हैं। शहर के बीच में पेड़-पौधों के साथ लोगों के लिए ओपन एयर जिम तैयार की गई है।
जंगली पेड़ों के साथ यहां विभिन्न प्रजातियों के करीब 5 हजार पौधे लगाए गए हैं। ऑक्सीजोन में प्रवेश के लिए पंडरी रोड, केनाल लिंकिंग रोड और कलेक्टोरेट के पास से तीन मुख्य प्रवेश द्वार बनाए गए । अंदर की तरफ कुछ छोटी हट्स हैं जिनमें बैठकर शहर के बीच में भी शांति का अहसास किया जा सकता है।
यूथ का फेवरेट ऑक्सी रीडिंग जोन
राजधानी में 6 एकड़ में एक वर्ल्ड क्लास भवन तैयार किया गया है। इस परिसर को ”नालंदा परिसर” नाम दिया गया है। एनआईटी के पास आयुर्वेदिक कॉलेज के सामने यह परिसर है। 2 साल पहले यह जगह खाली पड़ी थी। जिला खनिज न्यास निधि से 15.21 करोड़ रुपए तथा छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से 2.44 करोड़ की राशि के साथ इस रीडिंग जोन को तैयार किया गया है। यह देख का ऐसा जोन है जो 24 घंटे और सातों दिन संचालित होता है। नालंदा परिसर में पढ़ने के लिए इंडोर और आउटडोर रीडिंग की व्यवस्था की गई है। इसमें एक समय पर 1000 लोग अध्ययन कर सकते हैं। यहां यूथ टॉवर है जहां लायब्रेरी और रीडिंग एरिया है।
करीब 1.5 करोड़ रुपए की लागत से 50 हजार से अधिक किताबों का कलेक्शन यहां मौजूद है। जोन की इमारत को ऐसे बनाया गया है जिससे अंदर गर्मी का अहसास कम हो। 112 हाइटेक कम्प्यूटर भी यहां हैं। 100 एमबीपीएस स्पीड की इंटरनेट कनेक्टिविटी मौजूद है। 24 घंटे विद्युत आपूर्ति हो सके इसके लिए स्कोडा सिस्टम के तहत ऑनलाइन विद्युत मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है।
शहर के सबसे व्यस्त बाजार में पार्किंग कर समस्या खत्म
जवाहर बाजार के सामने एक गेट था और नीचे की तरफ दुकानें अंदर की तरफ पार्किंग एरिया और कुछ दुकानें और गोदाम थे। मगर अब इसका पूरा स्वरूप बदल दिया गया है। यहां दुकान चलाने वाले दुकानदारों को जवाहर गेट के पीछे एक कॉम्पलेक्स में 70 दुकान दे दी गई है। इस कॉम्पलेक्स की दुकानों और ऑफिस को बेचने या लीज पर देने की तैयारी निगम कर रहा है। तीन मंजिला कॉम्पलेक्स में दूसरे और तीसरे फ्लोर में 8-8 दफ्तर भी बनाए गए हैं।
यहां मालवीय रोड, सदर बाजार, गोलबाजार आने वालों को पार्किंग की सुविधा मिलेगी। कमर्शियल कॉम्पलेक्स के साथ यहां लोअर बेसमेंट, अपर बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग भी होगी। यहां लगभग 246 कार और 400 टू-व्हीलर गाड़ियां पार्क की जा सकेंगी। जवाहर बाजार का इतिहास लगभग 111 साल पुराना है। 1909 से यहां बाजार लग रहा था। लोग यहां हर रोज फल-सब्जियां खरीदते थे। इतिहास विद् डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया, 1940 में सारंगढ़ के राजा जवाहर सिंह ने इस बाजार को बाड़े के रूप में तैयार कराया था ।
देश का ऐसा शहर जहां मेडिकल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के इंस्टीट्यूट
रायपुर देश के उन चुनिंदा शहरों में से है जहां एक साथ राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थान है। इनमें एम्स, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और ट्रिपलआईटी है। यहां नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भी है। हर साल मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और मेडिकल के हजारों छात्र यहां आते हैं अपना भविष्य गढ़ने।
हाल ही में प्रदेश सरकार के साथ इन संस्थानों का एक खास एमओयू हुआ है। यह संस्थान अब प्रदेश सरकार को योजना बनाने और लोगों की जिंदगी की समस्याओं का हल ढूंढने में प्रोफेशनल मदद देंगी। इस तरह के एमओयू वाला छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य बन चुका है।