बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दुष्कर्म के आरोपी ने जमानत के लिए नावालिग का शपथ पत्र जमा किया। जब इस पर अनापत्ति दर्ज हुई तो जज भी हैरान रह गए। दरअसल , किसी अन्य नाबालिग का झूठा शपथ पत्र जमा किया गया था। कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए जांच कराई।अवमानना मामला बनाकर शपथ पत्र पेश करने वाली लड़की को नोटिस देकर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
दरअसल, रायपुर के पंडरी क्षेत्र में आरोपी लक्ष्मण उर्फ शक्तिमान ने एक नाबालिग को जान से मारने की धमकी देकर उससे दुष्कर्म किया। शिकायत के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली और आरोपी को गिटफ्तार कर लिया। निलची कोर्ट में आरोपी की जमानत अर्जी पेश की गई, लेकिन ख़ारिज हो गयी इसके बाद हाईकोर्ट में आरोपी की ओर से अधिवक्ता ने जमानत याचिका प्रस्तुत की।
अनापत्ति आवेदन देखकर जज ने मांगी जानकारी
सुनवाई के दौरान नाबालिग की ओर से अधिवक्ता मनोज जायसवाल ने अनापत्ति आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि आरोपी को जमानत देने पर उसे कोई आपति नहीं है। नाबालिग पीड़िता की ओर से अनापत्ति आवेदन देखकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा भी हेरान रह गए। उन्होंने सवाल किया कि आवेदन किसकी तरफ से प्रस्तुत किया गया है और वह कौन है। उसके बारे में जानकारी दी जाए।
जिसने अनापत्ति आवेदन दिया उसके पिता का नाम भी गलत
शासकीय अधिवक्ता गगन तिवाटी ने स्पष्ट किया कि प्रकरण में पीड़ित लड़की दूसरी है। जबकि जन्नत सोनमोंगटी ने शपथ पत्र देकर अनापत्ति आवेदन दिया है। उसके पिता की जगह दुसरे के नाम का उल्लेख है। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। दोबारा सुनवाई शुरू हुई। अधिवक्ता मनोज जायसवाल ने जन्नत सोनमोंगटी का दूसरा शपथ पत्र प्रस्तुत कर आपत्ति आवेदन वापस लेने का आग्रह किया।
शपथकर्ता को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का नोटिस
इस पट कोर्ट ने नाराज़गी व्यक्त की। इस प्रकरण में जन्नत के दो अलग-अलग शपथ पत्र में पिता के नाम भी अलग-अलग हो गया। इसे लेकर कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए। इसे अवमानना की श्रेणी में लाते हुए रजिस्ट्रार जनरल को संबोधित शपथकर्ता के खिलाफ अवमानना मामला चलाने के निर्देश दिये। इस मामले में शपथकर्ता को अवमानना नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने तलब किया गया है।