नई दिल्ली। देश मे वैश्विक महामारी कोरोना का कहर लगातर बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जैसे- जैसे ठंड बढ़ेगी संक्रमण का असर बढ़ेगा। सबसे बड़ी चिंता दीवाली पर पटाखे जलाने पर है, क्योंकि पटाखे से वायु प्रदूषण बढ़ने का डर है और यह कोरोना के मरीजों के लिए बेहद घातक है। वायु प्रदूषण के नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर पटाखे जलाने/फोड़ने पर रोक लगाने की मांग से जुड़े मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर तक बढ़ाते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 18 राज्यों से जवाब मांगा है। एनजीटी ने बिहार, असम, गुजरात सहित 18 राज्यों को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर क्यों न पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दी जाए। जिन 18 राज्यों को नोटिस जारी किया गया है, वहां पर वायु की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।
इन राज्यों से मांगा जवाब
एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि वह पहले ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर चुकी है। साथ ही कहा कि राजस्थान और उड़ीसा को नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां की सरकारें पहले ही पटाखों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी कर चुकी हैं। बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से जवाब मांगा है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि सभी संबंधित राज्य सरकारें, जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, वे ओडिशा और राजस्थान की तरह पटाखे के बिक्री और उत्पादन पर रोक लगाने पर विचार करे।
बुजुर्ग और बच्चों को अधिक खतरा
पीठ ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि त्योहारों के सीजन में बड़े पैमाने पर पटाखे जलाए जाते हैं और इससे निकलने वाले जहरीले रसायन की वजह से जन स्वास्थ्य, खासकर बुजुर्गों व बच्चों को सांस संबंधी परेशानियों का सामना करना होता है। इससे पहले ट्रिब्यूनल ने सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखे फोड़ने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी)से जवाब मांगा था। इसके अलावा बेंच ने दिल्ली पुलिस आयुक्त, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। बेंच ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।
7 से 30 नवंबर तक पटाखों पर रोक की मांग
याचिका में दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके साथ ही बेंच ने वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करते हुए कानूनी पहलुओं पर सुझाव और बेंच की मदद करने का आग्रह किया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर पहले से ही प्रदूषण की स्थिति खराब बनी है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। साथ ही कहा है कि यदि पटाखों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई गई तो कोरोना महामारी के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ स्थिति भी बिगड़ेगी। याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री के उन बयानों का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण के कारण कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की संभावना है।
पटाखे क्यों पहुंचाते हैं नुकसान ?
अस्थमा, सीओपीडी या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीड़ित मरीजों की समस्या पटाखों का धुंआ बढ़ा देता है। पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है। पटाखों से कार्बन डाइआक्साइड, मोनो आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। ये गैस इंसानों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। फेफड़ों के प्रभावित होने का सीधा अर्थ है कि शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं हो सकती। इस कम ऑक्सीजन से कई बार मल्टीऑर्गन फेलियर की स्थिति भी बन जाती है।